Budget Challenge: किसानों के लिए क्या नई नीतियां बनाएगी सरकार ?

केन्द्र द्वारा तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने के बाद, आंदोलन को दबाने के लिए किए गए वादों को पूरा करने के लिए वित्त मंत्रालय के सामने बड़ी चुनौतियां है। केन्द्रीय बजट का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र के सब्सिडी के लिए प्रमुख रूप से फर्टिलािज़र और एमएसपी के लिए आवंटित किया जाता है।
पिछले साल सरकार ने फूड एंड फर्टिलाइज़र सब्सिडी के लिए केंद्रीय बजट का 16 फीसदी से ज़्यादा आवंटित किया था, जबकि रक्षा बजट के लिए सिर्फ 10 फीसदी आवंटित किए गए थे।
जब 2020 में किसान आंदोलन को बल मिला, तो सरकार ने इन दो सब्सिडी के लिए 1.86 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जो कि 2014-15 में मोदी सरकार के पहले पूर्ण बजट, बजट अनुमान में आवंटित 1.88 लाख करोड़ रुपये से कम था। दरअसल, सत्ता में आने के बाद से ही नई एनडीए सरकार फूड एंड फर्टिलाइज़र सब्सिडी के आवंटन में लगातार कटौती कर रही है। 2014-15 में इसने इन सब्सिडी के लिए केन्द्रीय बजट का 11.35 फीसदी आवंटित किया था लेकिन 2020-21 तक कुल आवंटन को घटाकर 6.14 फीसदी कर दिया गया। कृषि आंदोलन मुख्य रूप से इन्हीं परिस्तथियों में शुरु हुआ था। सरकार किसानों की सब्सिडी कम कर रही थी लेकिन खेती पर आने वाली लागत लगातार बढ़ रही थी। इस बीच कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग, कंपटेटिव मार्केट प्राइसिंग और सरकारी खरीद केंद्रों या मंडियों को बंद करने के केन्द्र के फैसले से किसान पहले ही घबराए हुए थे। विशेष रूप से कृषि विधेयक पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसानों के लिए रेड अलर्ट साबित हुआ, जिन्हें सब्सिडी का एक तिहाई हिस्सा मिलता है। साल 2020-21 में सरकार ने महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था से लड़ने के लिए अपने सब्सिडी बिल में लगभग 200 फीसदी की बढ़ोत्तरी की। बजट के संशोधित अनुमानों में दोनों सब्सिडी के लिए 5.56 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जो कि कुल बजट आवंटन का 16 फीसदी से ज़्यादा था। लेकिन इसके अगले साल 2021-22 में सरकार ने सब्सिडी बिल को 42 फीसदी घटाकर 3.22 लाख करोड़ रुपये कर दिया, जिसके लिए संशोधित अनुमान 1 फरवरी को अगले बजट में पेश किया जाएगा।
जब 2020 में किसान आंदोलन को बल मिला, तो सरकार ने इन दो सब्सिडी के लिए 1.86 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जो कि 2014-15 में मोदी सरकार के पहले पूर्ण बजट, बजट अनुमान में आवंटित 1.88 लाख करोड़ रुपये से कम था। दरअसल, सत्ता में आने के बाद से ही नई एनडीए सरकार फूड एंड फर्टिलाइज़र सब्सिडी के आवंटन में लगातार कटौती कर रही है। 2014-15 में इसने इन सब्सिडी के लिए केन्द्रीय बजट का 11.35 फीसदी आवंटित किया था लेकिन 2020-21 तक कुल आवंटन को घटाकर 6.14 फीसदी कर दिया गया। कृषि आंदोलन मुख्य रूप से इन्हीं परिस्तथियों में शुरु हुआ था। सरकार किसानों की सब्सिडी कम कर रही थी लेकिन खेती पर आने वाली लागत लगातार बढ़ रही थी। इस बीच कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग, कंपटेटिव मार्केट प्राइसिंग और सरकारी खरीद केंद्रों या मंडियों को बंद करने के केन्द्र के फैसले से किसान पहले ही घबराए हुए थे। विशेष रूप से कृषि विधेयक पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसानों के लिए रेड अलर्ट साबित हुआ, जिन्हें सब्सिडी का एक तिहाई हिस्सा मिलता है। साल 2020-21 में सरकार ने महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था से लड़ने के लिए अपने सब्सिडी बिल में लगभग 200 फीसदी की बढ़ोत्तरी की। बजट के संशोधित अनुमानों में दोनों सब्सिडी के लिए 5.56 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जो कि कुल बजट आवंटन का 16 फीसदी से ज़्यादा था। लेकिन इसके अगले साल 2021-22 में सरकार ने सब्सिडी बिल को 42 फीसदी घटाकर 3.22 लाख करोड़ रुपये कर दिया, जिसके लिए संशोधित अनुमान 1 फरवरी को अगले बजट में पेश किया जाएगा।
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