Budget 2022: रिज़र्व बैंक का आशावाद और भारतीय अर्थव्यवस्था !

by GoNews Desk Edited by M. Nuruddin 1 year ago Views 2871

Budget 2022 Countdown: Economic Survey 2021 Way Of
भारत का केन्द्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा और उससे पहले वित्त मंत्रालय अर्थव्यवस्था के हालात को स्पष्ट करने के लिए अपना आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेगा। पिछले साल के आर्थिक सर्वेक्षण की समीक्षा से यह पता चलता है कि मंत्रालय द्वारा जीडीपी अनुमान अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत की तुलना में कम से कम 1.8 फीसदी ज़्यादा थी। चालू वित्त वर्ष को ख़त्म होने में दो महीने और बचे हैं, तस्वीर और बदल सकती है। 

भारतीय रिज़र्व बैंक की जनवरी की रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ में मुख्य तथ्यों की अनदेखी करते हुए आने वाले सालों में एक आशावादी तस्वीर पेश करती है। आर्थिक सर्वेक्षण में जहां 11 फीसदी आर्थिक ग्रोथ का अनुमान था उसकी तुलना में रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट में जीडीपी ग्रोथ रेट सिर्फ 9.2 फीसदी दर्ज की गई।


यह भी तब हुआ है जब महामारी की दूसरी लहर की वजह से आर्थिक ग्रोथ अनुमान को 7.7 फीसदी से घटाकर 7.3 फीसदी करने का फैसला किया गया था।

इसी सप्ताह जारी आरबीआई की रिपोर्ट कहती है: “दिसंबर 2021 में आरीबी के स्टेट ऑफ इकोनॉमी रिपोर्ट के बाद से कुछ क्षेत्रों में मॉडरेशन हुआ है। बाहरी मोर्चे पर हालांकि दिसंबर महीने में भारत का मज़बूत निर्यात भारतीय सामानों की लचीली मांग को दर्शाता है। जबकि घरेलू मांग में सुधार के साथ विदेशी सामानों की मांग बढ़ रही है जिससे भारत का इंपोर्ट भी बढ़ रहा है।

इसी रिपोर्ट में आरबीआई ने यह भी बताया है कि भारत का व्यापार घाटा बहुत ज़्यादा बढ़ गया है जो निरंतर बढ़ रहा है। दिसंबर 2021, तीसरी तिमाही के ख़त्म होने के साथ भारत का व्यापार घाटा -62.4 फीसदी था जो वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में -51.5 फीसदी से भी बदतर है। भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि पिछली तिमाही के दौरान भारत का व्यापार घाटा 20 अरब डॉलर से ज़्यादा पर पहुंच गया।

कंज़्युमर कॉन्फिडेंस की बात करें तो रिज़र्व बैंक के पैनल ही की रिपोर्ट बताती है कि देश में महामारी की चपेट में आने से पहले 21 दिसंबर 2021 की तुलना में देश में ऑटोमोबाइल की बिक्री 20 फीसदी कम रही।

Gonewsindia ने आपको पहले ही बताया था कि देश के ग्रामीण इलाकों में दोपहिया वाहनों की बिक्री पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी कम हुई- जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरे की घंटी है।

आरबीआई का आशावाद भी हैरान करने वाला है क्योंकि इसका अपना डेटा पुष्टि करता है कि महामारी से पहले जनवरी 2020 से बिजली उत्पादन में कोई उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी नहीं हुई है और दो सख़्त लॉकडाउन ने विनिर्माण और औद्योगिक गतिविधियों को पंगु बना दिया है।

लेकिन फिर भी, आरबीआई अपने निष्कर्षों में उत्साहित है: "उत्साही उपभोक्ता और व्यावसायिक विश्वास और कई आने वाले उच्च आवृत्ति संकेतकों में बढ़ोत्तरी के साथ भारत में समग्र आर्थिक गतिविधि मज़बूत बनी हुई है। टीकाकरण के मोर्चे पर, भारत ने तेज़ी से प्रगति की है।”

ओमिक्रॉन वैरिएंट पर, यूके और दक्षिण अफ्रीका के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि इस तरह के संक्रमण 66 से 80 फीसदी कम गंभीर होते हैं, अस्पताल में भर्ती होने की कम आवश्यकता होती है। इसने निकट अवधि की संभावनाओं को उज्ज्वलित किया है और वित्तीय बाज़ार इस आशावाद को दर्शाते हैं।

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