बौद्ध भिक्षुओं का अयोध्या में विरोध प्रदर्शन, राम मंदिर निर्माण रोके जाने की मांग

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के ख़िलाफ़ बौद्ध भिक्षुओं ने मोर्चा खोल दिया है. दर्जनों बौद्ध भिक्षुओं ने मंगलवार को भूखा रहकर अपना विरोध जताया और राम जन्मभूमि परिसर पर अपना दावा ठोंक दिया. बौद्ध भिक्षुओं की मांग है कि राम जन्मभूमि परिसर की खुदाई यूनेस्को की निगरानी में होनी चाहिए. मंगलवार को अयोध्या के डीएम के दफ़्तर के बाहर पहुंचे बौद्ध भिक्षुओं ने मांग की कि राम जन्मभूमि स्थल की खुदाई करने के दौरान मिले अवशेषों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
इसी साल मई में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने दावा किया था कि ज़मीन समतल करने के दौरान वहां एक शिवलिंग, सात काले रंग के पत्थर के खंभे, छह लाल बलुआ पत्थर के खंभे, एक फूल शिखर और देवी-देवताओं की चार टूटी हुई मूर्तियां मिली थीं. इसके फौरन बाद बौद्ध भिक्षुओं ने दावा किया कि बरामद वस्तुएं बौद्ध संस्कृति से संबंधित हैं और राम मंदिर का निर्माण कार्य रोका जाना चाहिए और यूनेस्को की निगरानी में खुदाई की जानी चाहिए. बौद्ध धर्म के अनुयायी अयोध्या को साकेत नाम का प्राचीन शहर मानते हैं जो प्राचीन काल में बौद्ध धर्म का केंद्र था.
अयोध्या पहुंचे एक प्रदर्शनकारी ने कहा, हमने अपना ज्ञापन राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश और अयोध्या प्रशासन के माध्यम से अन्य सरकारी एजेंसियों को भेजे हैं. अगर राम मंदिर का निर्माण नहीं रोका गया और परिसर खुदाई के लिए यूनेस्को को नहीं सौंपा गया, तो फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा. वहीं फैज़ाबाद के सिटी मजिस्ट्रेट एस.पी.सिंह ने कहा, हमें बौद्ध नेताओं का ज्ञापन मिला है और हम इसे संबोधित व्यक्तियों को भेजेंगे. हमारे आश्वासन पर, बौद्ध समुदाय ने अपने उपवास को बंद कर दिया है। इससे पहले तमाम दलित एक्टिविस्ट सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाते हुए दावा कर रहे हैं कि खुदाई के दौरान ज़मीन से निकली मुर्तिया बुद्ध धर्म से संबंधित हैं.
अयोध्या पहुंचे एक प्रदर्शनकारी ने कहा, हमने अपना ज्ञापन राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश और अयोध्या प्रशासन के माध्यम से अन्य सरकारी एजेंसियों को भेजे हैं. अगर राम मंदिर का निर्माण नहीं रोका गया और परिसर खुदाई के लिए यूनेस्को को नहीं सौंपा गया, तो फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा. वहीं फैज़ाबाद के सिटी मजिस्ट्रेट एस.पी.सिंह ने कहा, हमें बौद्ध नेताओं का ज्ञापन मिला है और हम इसे संबोधित व्यक्तियों को भेजेंगे. हमारे आश्वासन पर, बौद्ध समुदाय ने अपने उपवास को बंद कर दिया है। इससे पहले तमाम दलित एक्टिविस्ट सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाते हुए दावा कर रहे हैं कि खुदाई के दौरान ज़मीन से निकली मुर्तिया बुद्ध धर्म से संबंधित हैं.
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