'बीयर कंपनियों' ने मिलीभगत से दाम बढ़ाकर 11 साल तक भारतीय ग्राहकों को लगाया चूना
सीसीआई की 248 पेज की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2007 से 2018 के बीच यह गोरखधंधा किया गया।

बीयर बनाने वाली तीन बड़ी कंपनियों ने आपस में मिलीभगत कर हिंदुस्तानी ग्राहकों की जेब काटी है। Carlsberg, SABMiller और भारतीय कंपनी United Breweries ने ऐसा 11 साल तक किया। यह जानकारी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की एक रिपोर्ट से सामने आयी है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी राॅयटर्स के मुताबिक इन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने कारोबार के लिहाज से संवेदनशील जानकारी एक दूसरे के साथ साझा की और आपसी गठजोड़ से 11 साल तक देश में बीयर की कीमतों को मनमाने तरीके से बढ़ाया। हालांकि इस मामले में अभी तक सीसीआई का कोई आदेश नहीं आया है।
सीसीआई की 248 पेज की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2007 से 2018 के बीच यह गोरखधंधा किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रूअर्स यानि बीयर बनाने वाली कंपनियों ने मिलजुल कर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जबकि उन्हें यह बात अच्छी तरह से पता थी कि उनका यह सामूहिक प्रयास प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन है। शिकायत मिलने के बाद सीसीआई ने 2018 में इन तीन बीयर कंपनियों के ठिकानों पर छापा मारा और जांच शुरू की थी. इस जांच में इन कंपनियों की असलियत सामने आयी। ध्यान रहे, भारत के करीब 52 हजार करोड़ रुपये के बीयर बाजार में इनकी हिस्सेदारी 88 फीसदी है। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट को मार्च में ड्राफ्ट किया गया था। सीसीआई के सीनियर मेंबर इस पर विचार करेंगे और नियमों के उलंघन के लिए कंपनियों पर 25 करोड़ डॉलर से अधिक जुर्माना लगाया जा सकता है। सीसीआई की जांच रिपोर्ट में तीनों बियर बनाने वाली कंपनियों के अधिकारियों की बातचीत, वॉट्सऐप संदेशों और ई-मेल को शामिल किया गया है। इससे पता चलता है कि इन कंपनियों ने आपसी तालमेल से कई राज्यों में कीमतें बढ़ाने के लिए रणनीति बनायी। इन कंपनियों ने All India Brewers Association (AIBA) को कॉमन प्लेटफॉर्म की तरह इस्तेमाल किया और आपसी गठजोड़ से कीमतें तय की। फिर AIBA ने कीमतें बढ़ाने के लिए इन कंपनियों की तरफ से लॉबिंग की। ज़ाहिर है यह न सिर्फ प्रतिस्पर्धा के नियमों के खिलाफ था बल्कि इससे ग्राहकों को भी चूना लगाया गया। अगर सीसीआई की जांच सही पाई गई तो यह साबित हो जायेगा कि 11 सालों से भारतीय बीयर पीने के लिए ज्यादा पैसे चुकाते रहे।
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सीसीआई की 248 पेज की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2007 से 2018 के बीच यह गोरखधंधा किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रूअर्स यानि बीयर बनाने वाली कंपनियों ने मिलजुल कर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जबकि उन्हें यह बात अच्छी तरह से पता थी कि उनका यह सामूहिक प्रयास प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन है। शिकायत मिलने के बाद सीसीआई ने 2018 में इन तीन बीयर कंपनियों के ठिकानों पर छापा मारा और जांच शुरू की थी. इस जांच में इन कंपनियों की असलियत सामने आयी। ध्यान रहे, भारत के करीब 52 हजार करोड़ रुपये के बीयर बाजार में इनकी हिस्सेदारी 88 फीसदी है। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट को मार्च में ड्राफ्ट किया गया था। सीसीआई के सीनियर मेंबर इस पर विचार करेंगे और नियमों के उलंघन के लिए कंपनियों पर 25 करोड़ डॉलर से अधिक जुर्माना लगाया जा सकता है। सीसीआई की जांच रिपोर्ट में तीनों बियर बनाने वाली कंपनियों के अधिकारियों की बातचीत, वॉट्सऐप संदेशों और ई-मेल को शामिल किया गया है। इससे पता चलता है कि इन कंपनियों ने आपसी तालमेल से कई राज्यों में कीमतें बढ़ाने के लिए रणनीति बनायी। इन कंपनियों ने All India Brewers Association (AIBA) को कॉमन प्लेटफॉर्म की तरह इस्तेमाल किया और आपसी गठजोड़ से कीमतें तय की। फिर AIBA ने कीमतें बढ़ाने के लिए इन कंपनियों की तरफ से लॉबिंग की। ज़ाहिर है यह न सिर्फ प्रतिस्पर्धा के नियमों के खिलाफ था बल्कि इससे ग्राहकों को भी चूना लगाया गया। अगर सीसीआई की जांच सही पाई गई तो यह साबित हो जायेगा कि 11 सालों से भारतीय बीयर पीने के लिए ज्यादा पैसे चुकाते रहे।
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