अगले साल से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध, केंद्र सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

केंद्र सरकार ने हाल ही में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने के आदेश दिए हैं। सरकार ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित कर दिया है जिसके मुताबिक 1 जुलाई 2022 से भारत में प्लेट, कप और कटलरी समेत सिंगल यूज के तहत आने वाली वस्तुओं के उत्पादन, आयात, भंडारण, वितरण और बिक्री पर रोक होगी।
सरकार ने ये अधिसूचना 12 अगस्त को जारी की। इसके मुताबिक सामान ले जाने के लिए प्रयोग होने वाले प्लास्टिक बैग की मोटाई 1 सितंबर से 50 माइक्रोन होगी जबकि 31 दिसंबर से इसे 75 माइक्रोन तक बढ़ा दिया जाएगा। इससे बैग दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा। वहीं 30 सितंबर 2021 से बिना बुने हुए प्लास्टिक बैग का वजन 60 ग्राम/ वर्ग से कम नहीं होगा।
देश में सिंगल-यूज प्लास्टिक बैन के आदेश के बाद एक बार फिर भारत में प्लास्टिक का इस्तेमाल बहस का मुद्दा बन गया है। बता दें कि सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, सीपीसीबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2018-19 में 3,360,043 टन प्लास्टिक वेस्ट पैदा हुआ था।
इसमें से महाराष्ट्र और तमिलनाडु से सबसे अधिक 12 फीसदी जबकि राजस्थान से सबसे कम 3 फीसदी वेस्ट पैदा हुआ। वहीं देश में पैदा होने वाले नगरपालिक ठोस कचरे में प्लास्टिक वेस्ट का 5 से 6 फीसदी का योगदान होता है।
इतने बड़े स्तर पर कचरा पैदा होने के बाद उम्मीद की जाती है कि ये कचरा फिर से इस्तेमाल में लाया जा सकेगा हालांकि डाउन टू अर्थ में छपी एक रिपोर्ट में एक वैज्ञानिक शोध के हवाले से लिया गया कि सिर्फ 9 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट ही दोबारा इस्तेमाल किया जाता है।
करीब 12 प्रतिशत कचरा जला दिया जाता है जबकि 79 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट जमा हो जाता है। वह कचरा जो न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है, ऐसा कचरा वातावरण में मिल कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का कारण बनता है।
सीपीसीबी की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पैदा होने वाले प्लास्टिक कचरे में 94 फीसदी थर्मोप्लास्टिक औक पीवीसी होता है जिसे दोबारा फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। इंप्लीमेंटेशन ऑफ प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट रूल्स, 2016 पर आई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में प्लास्टिक वेस्ट का 50 फीसदी हिस्सा सिर्फ महाराष्ट्र और गुजरात में पैदा होता है।
रिपोर्ट में हालांकि कहा गया था कि भारत में हर साल करीब 16 लाख टन कचरा पैदा होता है जबकि प्लास्टइंडिया फाउंडेशन नाम की संस्था का अनुमान है कि देश में 2017-2018 में 1 करोड़ 60 लाख टन प्लास्टिक का इस्तेमाल हुआ।
डाउन टू अर्थ में छपी एक रिपोर्ट में इंडस्ट्री बॉडी एफसीसीआई के हवाले से लिखा गया कि भारत में 43 प्रतिशत प्लास्टिक पैकेजिंग के कामों में इस्तेमाल होता है, जो कि सिंगल यूज-प्लास्टिक है। एफआईसीसीआई के मुताबिक एक भारतीय औसतन रोज 11 किलोग्राम प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है.
इसे फिर से इस्तेमाल लायक बनाने के लिए 731 रिसाइकिलिंग यूनिट्स हैं हालांकि इन इकइयों में अनियमितता के कारण अधिकतर प्लास्टिक वेस्ट कचरे का एक ढेर बन कर रह जाता है।
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