Auto Debit Rules: 1 अक्टूबर से क्या बदल जाएगा?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1 अक्टूबर से ऑटो डेबिट कार्ड के नियम बदलने का ऐलान किया है। इनके बारे में उन लोगों का जानना ज़रूरी है कि जो हर महीने अपने बिजली और पानी के बिल या सब्सक्रिप्शन के पैसे ऑटो डेबिट कार्ड के जरिए देते हैं। बदले हुए नियमों के मुताबिक अगर आप 5000 से अधिक का ऑटो ट्रांसेक्शन करते हैं तो बैंक आपसे एडिशनल फैक्टर ऑथेंटिकेशन की मांग कर सकता है।
क्या हैं नए ऑटो डेबिट नियम?
नए ऑटो डेबिट नियम के मुताबिक अब बैंक आपसे एडिशनल फैक्टर ऑथेंटिकेशन की मांग कर सकता है यानि अब बैंक को किसी अकाउंट से पैसे ऑटो डेबिट करने के लिए खाताधारक को 24 घंटे पहले नोटिफिकेशन भेजना होगा और उपभोक्ता के अकाउंट से पैसे तब ही डेबिट होंगे जब वह इस नोटिफिकेशन को कन्फर्म करेगा। यह नोटिफिकेशन खाताधारक को एसएमएस या इमेल के जरिए मिल सकता है जिसमें मर्चेंट, ट्रांजेक्शन अमाउंट, डेबिट की तारीख और समय, ट्रांजेक्शन रेफरेंस नबर/ई-मैंडेट और डेबिट पर्पस आदि की जानकारी होगी। कार्ड होल्डर के पास किसी खास ट्रांजेक्शन या ई-मेंडेट को छोड़ने का विकल्प होगा।
किन पर पड़ेगा असर
यह नया नियम उन लोगों को प्रभावित करेगा जो अपने बिल और ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन का भुगतान कार्ड ऑटो ट्रांजेक्शन से करते हैं। गूगल, फेसबुक और यूट्यूब जैसी कंपनियों ने अपने उपभोक्ताओं को सूचना जारी कर दी है कि रिजर्व बैंक के नए नियमों से उनकी सब्सक्रिप्शन सेवा प्रभावित हो सकती है हालांकि नए नियमों का ई-एनएसीएच और यूपीआई ऑटोपे लेनदेन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अगर भुगतान के लिए स्टैंडिग ऑर्डर आपका बैंक का है तो ऐसी स्थिति में EMIs और SIPs सेवा भी बाधित नही होंगे।
नए नियमों का पालन करने के लिए क्या करें?
अगर चाहते हैं कि नए नियमो से आपके ट्रांजेक्शन प्रभावित न हो, तो वह कार्डहोल्डर को भुगतान के लिए ऑटो-ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अपने सही नंबर को कार्ड से लिंक करा लेना चाहिए या अपडेट करा लेना चाहिए ताकि बैंक की भेजी गई नोटिफिकेशन उन्हें प्राप्त हो।
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