पेगासस जासूसी मामले पर SC के फैसले की सराहना; राहुल गांधी बोले-गृह मंत्री इस्तीफा दें

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले पर अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने अपने फैसले में एक स्वतंत्र जांच कमेटी स्थापित की है। न्यायालय के इस फैसले का राहुल गांधी समेत राजनेताओं और कानून से जुड़े बड़े लोगों ने स्वागत किया है। बुधवार को सीजेआई ने पेगासस मामले में दायर जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि, “निजता का अधिकार प्रभावित होने का आरोप है, पूरी नागरिकता प्रभावित है। केन्द्र सरकार ने कोई स्पष्ट रुख नहीं लिया। कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “लोकतांत्रिक समाज के सदस्यों को गोपनीयता की उचित चिंता है। नागरिकों को निजता के उल्लंघन से बचाने की ज़रूरत है।” लोकतांत्रिक समाज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि, “इसे अन्य मौलिक अधिकारों की तरह महसूस करने की आवश्यकता है, कुछ प्रतिबंधों की ज़रूरत है। लेकिन इन प्रतिबंधों की संवैधानिक जांच होनी चाहिए।”
कोर्ट ने आगे कहा, “हम एक कमेटी बनाने जा रहे हैं जो इस मामले की जांच करेगी और कोर्ट को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।” सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए बल्कि होता हुआ दिखना भी चाहिए।”
देखते हैं अदालत के इस फैसले पर कुछ बड़े राजनेताओं का बयान-
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा संसद सुब्रमणियम स्वामी ने पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट की समीति की तुलना ‘वाटरगेट स्कैंडल’ से की है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि पेगासस पर सुप्रीम कोर्ट की समीति वाटरगेट की तरह है। "कवर अप" मोदी सरकार के लिए उस पारदर्शिता से ज्यादा नुकसानदेह होगा जिसे सरकार अब तक पेश करने में विफल रही है। मेरी सलाह है कि सरकार को अपना नुक़सान कम करना चाहिए। 1969 में तत्काल अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने चुनाव जीतने की कोशिश में डेमोक्रेटिक नेताओं पर बड़े स्तर पर जासूसी कराई थी जिसे कि वाटरगेट स्कैंडल के नाम से जाना गया था।
कई मुद्दों पर केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अदालत का फैसला आने के बाद गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगा है। कांग्रेस नेता ने पेगासस से भारतीय हस्तियों की कथित जासूसी को ‘राजद्रोह’ बताया है। उन्होंने कहा, “इजरायल ने पेगासस को हथियार का नाम दिया है और इसका इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने इस हथियार का इस्तेमाल भारत और हमारी संस्थाओं के खिलाफ किया है। उन्होंने इसका इस्तेमाल राजनीतिक तौर पर और जांचों को खराब करने के लिए किया। इसके लिए एक ही शब्द है, राजद्रोह। इसकी जांच होनी चाहिए और गृह मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और अपने ट्विटर पर लिखा कि एससी रवींद्रन की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट का पेगासस स्नूपगेट मामले में एक स्वतंत्र फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की नियुक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर केंद्र की हस्तक्षेप न करने की अपील और अपनी खुद की एक्सपर्ट बॉडी की नियुक्ति करने के प्रयास को खारिज करना प्रशंसनीय है।
स्वराज इंडिया और किसान नेता योगेंद्र यादव ने भी प्रशासं भूषण के इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, कि यह नए CJI का सिर्फ अवलोकन नहीं, पहला आदेश है जो उम्मीद जगाता है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद केसी वेणुगोपाल और पार्टी प्रकवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी पेगासस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया दी। वेणुगोपाल ने एक ट्वीट में लिखा, “सरकार हर समय राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर गलत काम नहीं कर सकती।पेगासस स्पाइवेयर के दुरुपयोग की जांच के लिए एक विशेष समिति गठित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत है।”
वहीं कोर्ट के आदेश पर सुरजेवाला ने जॉर्ज ऑरवेल के मशहूर नॉवेल, 1984 का एक कोट लिखा और कहा कि यह कोट मोदी सरकार को आईना दिखाता है। किताब का कोट इस तह है, “एक डायस्टोपियन राज्य, जहां सरकार भाषण की आज़ादी को दबाती है, रोज प्रोपागैंडा फैलाती है और लगातार निगरानी के माध्यम से अपने नागरिकों के निजी जीवन का उल्लंघन करती है।”
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