Budget 2022: कम होता बजट का सालाना ग्रोथ !

by M. Nuruddin 1 year ago Views 2556

Annual growth of the general budget!
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाना है। इससे पहले 31 जनवरी को वित्त मंत्रालय अपना आर्थिक सर्वेक्षण जारी कर सकता है। कोरोना महामारी और उसकी वजह से अर्थव्यवस्था के बिगड़े हालात के बीच इस आम बजट को बहुत ख़ास माना जा रहा है।

साथ ही केन्द्र सरकार भारत की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य से काम कर रही है। ऐसे में सरकार को अपना बजट बढ़ाने की ज़रूरत है। देश की नज़रें वित्त मंत्री के उस लाल बहीख़ाते पर टिकी है जिसमें लपेटकर बजट को संसद में लाया जाएगा।


अगर हम पिछले कुछ सालों के बजट के आंकड़े देखें तो बजट में वो बढ़ोत्तरी नहीं है रही है जिसकी भारतीय अर्थव्यवस्था को ज़रूरत है। मसलन वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में 0.9 फीसदी की एक मामूली बढ़त देखी गई।

मई 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान वित्त मंत्रालय ने 20 लाख करोड़ रूपये का आर्थिक पैकेज ऐलान किया था, जिसका ग्राउंड पर कुछ असर नहीं दिखा। बड़ी संख्या में रोजगार छिन गई, सैकड़ों एमएसएमई बंद हो गए, व्यापारियों ने आत्महत्या की लेकिन आर्थिक पैकेज का क्या हुआ, इस बारे में कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई।

उम्मीद थी कि 2021-22 के बजट में सरकार उस आर्थिक पैकेज का ब्योरा पेश करेगी लेकिन उस राशि का बजट में कोई ज़िक्र नहीं किया गया। मसलन पुणे के एक व्यापारी ने आरटीआई दायर कर इस बारे में केन्द्र सरकार से जानकारी मांगी थी जिससे पता चला कि सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के ज़रिए 3 लाख करोड़ रूपये का लोन राज्यों को दिया, जबकि शेष 17 लाख करोड़ रूपये का कुछ पता नहीं चला।

दूसरी तरफ केन्द्र ने 2021-22 के बजट को ‘मिनि बजट’ बताया था जो पिछले बजट के मुक़ाबले सिर्फ 0.9 फीसदी ज़्यादा रहा। इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में 12.4 फीसदी की बढ़त देखी गई थी। मसलन वित्त वर्ष 2019-20 में 26,86,330 करोड़ के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2020-21 का बजट 30,42,230 करोड़ रूपये रहा।

नोटबंदी के बाद से बजट में कमी देखी गई थी। मसलन 2016-17 में 9.7 फीसदी के ग्रोथ के मुक़ाबले 2017-18 में 8.1 फीसदी और 2018-19 में कम करके 7.7 फीसदी कर दिया गया था। इसका मतलब है कि नोटबंदी के बाद से देश की आर्थव्यवस्था बदहाल हुई है जो महामारी के बाद और ज़्यादा गंभीर हो गई।

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