9/11: "वॉर ऑन टेरर" के नाम पर अमेरिका ने इन देशों को तबाह किया, 900,000 लोग मारे गए
"क्या "वॉर ऑन टेरर" के नाम पर इन युद्धों का कुछ फायदा हुआ ?”

अमेरिका द्वारा शुरू किए गए तथाकथित "आतंकवाद के ख़िलाफ युद्ध” की वजह से अफगानिस्तान, इराक, सीरिया, यमन और पाकिस्तान में सैकड़ों हजारों लोग मारे गए हैं। 11 सितंबर, 2001 को सुबह 8:46 मिनट पर अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 11 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टॉवर में घुस गई। इसके 45 मिनट बाद एक दूसरी फ्लाइट ट्रेड सेंटर के दूसरे टॉवर से जा टकराई। घटना के बाद शाम तक करीब 3000 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई।
अमेरिकियों को तब यह अंदाजा नहीं चल सका होगा कि यह हमले एक लंबे युद्ध की शुरुआत होगी जिसकी वजह से दुनिया में न सिर्फ अमेरिका की किरकीरी हुई बल्कि "वॉर ऑन टेरर" के नाम पर कई देशों को तबाह करने का तमगा भी लगा। दशकों से चल रहे सैन्य संघर्षों में मारे गए आम लोगों और सैन्य कर्मचारियों की मौत ट्रेड सेंटर हमले में मारे गए लोगों की तुलता में कई गुना ज़्यादा है।
हालांकि यह जान पाना असंभव है कि 9/11 के बाद के सैन्य अभियानों में कितने लोग मारे गए लेकिन ब्राउन यूनिवर्सिटी के वाटसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल की नई रिपोर्ट के मुताबिक़ सभी पक्षों- सशस्त्र बलों, ठेकेदारों, नागरिकों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत करीब 900,000 लोग मारे गए हैं। वॉट्सन यूनिवर्सिटी ने रक्षा विभाग, संयुक्त राष्ट्र, इराक और अफगानिस्तान में राष्ट्रीय सरकार और पत्रकारों की रिपोर्ट के आधार पर यह जानकारी दी है। 9/11 के बाद के युद्धों में सबसे ज़्यादा आम नागरिक मारे गए हैं। विपक्षी लड़ाकों, स्थानीय सेनाओं और यू.एस. और गठबंधन बलों के हमले से 360,000-387,000 तक लोगों की मौत हुई। इनके अलावा 680 पत्रकार और 892 सरकारी संगठनों में काम करने वाले कर्मचारी भी मारे गए।
हालांकि यह जान पाना असंभव है कि 9/11 के बाद के सैन्य अभियानों में कितने लोग मारे गए लेकिन ब्राउन यूनिवर्सिटी के वाटसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल की नई रिपोर्ट के मुताबिक़ सभी पक्षों- सशस्त्र बलों, ठेकेदारों, नागरिकों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत करीब 900,000 लोग मारे गए हैं। वॉट्सन यूनिवर्सिटी ने रक्षा विभाग, संयुक्त राष्ट्र, इराक और अफगानिस्तान में राष्ट्रीय सरकार और पत्रकारों की रिपोर्ट के आधार पर यह जानकारी दी है। 9/11 के बाद के युद्धों में सबसे ज़्यादा आम नागरिक मारे गए हैं। विपक्षी लड़ाकों, स्थानीय सेनाओं और यू.एस. और गठबंधन बलों के हमले से 360,000-387,000 तक लोगों की मौत हुई। इनके अलावा 680 पत्रकार और 892 सरकारी संगठनों में काम करने वाले कर्मचारी भी मारे गए।
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