अफ़ग़ानिस्तान में अब अमेरिका के महज़ 6000 सैनिक: रिपोर्टं

अफ़ग़ानिस्तान से सेना वापसी के ऐलान के बाद से ही अमेरिका की चौतरफा आलोचना हो रही है। अभी सेना की पूरी तरह से वापसी भी नहीं हुई थी कि तालिबान लड़ाकों ने काबुल पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके बाद सभी देश अपने-अपने नागरिकों को वहां से निकालने में लगे हुए हैं। इस बीच अमेरिका के सैनिक अभी भी वहां तैनात हैं।
स्टैटिस्टा के आंकड़ों के मुताबिक़ सितंबर 2011 तक अफ़ग़ानिस्तान में 102,100 अमेरिकी सैनिक तैनात थे। यह वो दौर था जब अमेरिका पर सितंबर महीने में (9/11) हमला हुआ था। इनमें सक्रिय ड्यूटी, नेशनल गार्ड / रिजर्व सैनिक और ठेकेदार और नागरिक शामिल थे।
चार साल बाद सितंबर 2015 में तैनाती काफी कम होकर 12,802 हो गई, यानि 90 हज़ार सैनिक कम कर दिए गए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2017 में सैनिकों की तैनाती को बढ़ाकर कुल 16,491 कर दिया। दो साल बाद, यह संख्या 19,000 सैनिकों तक पहुंच गई थी। फरवरी 2020 में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने तालिबान के साथ एक वापसी समझौते पर हस्ताक्षर किए और 1 मई, 2021 की तारीख सेना वापसी के लिए निर्धारित की। उनके उत्तराधिकारी जो बाइडन ने वादा किया, यह कहते हुए कि यह स्थिति के लिए एक अनिवार्य फैसला था। जून 2020 में अफग़ानिस्तान में 8,600 अमेरिकी सैनिक थे, जो जनवरी में घटकर 2,500 रह गए। हिंसा में वृद्धि और अपने नागरिकों की निकासी के साथ, अमेरिकी सेना की तैनाती वर्तमान में 6,000 तक रह गई है। वरिष्ठ रिपब्लिकन सीनेटर मिच मैककोनेल सहित जो बाइडन के आलोचकों का कहना है कि वहां हमारे 2500 सैनिक तैनात था और वे बिना किसी हताहत के अमेरिका समर्थित सरकार को स्टैबिलाइज़ कर सकते थे। उन्होंने वापसी की प्रक्रिया को "अनाड़ी" कहा, और राष्ट्रपति पर हमला करते हुए मैककोनेल ने कहा कि "उन्हें देश के लिए सही काम करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि, “हमारे पास केवल 2,500 सैनिक थे, हल्का स्पर्श, कोई अराजकता नहीं, युद्ध में एक साल में एक भी अमेरिकी सैनिक नहीं मारा गया।” बाइडेन ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि हमारे पास विकल्प "या तो हमारी सेना को वापस बुलाने का था, या संघर्ष को और बढ़ाने का। हज़ारों अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान में युद्ध में भेज रहे थे, संघर्ष के तीसरे दशक में प्रवेश कर रहे थे।" अफग़ानिस्तान से सेना की वापसी पिछले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एक मुद्दा था, और ऐसा ही पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी किया था। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी अमेरिका सेना की वापसी के दावों को ज़मीनी प्रभावकारिता को प्रभावित करने वाले दावों को ख़ारिज करते हुए कहा कि जब 2017 में राष्ट्रपति ट्रम्प के तहत सेना की तैनाती बढ़ाई गई थी, तब भी तालिबान लड़ाकों ने लाभ कमाया था।
चार साल बाद सितंबर 2015 में तैनाती काफी कम होकर 12,802 हो गई, यानि 90 हज़ार सैनिक कम कर दिए गए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2017 में सैनिकों की तैनाती को बढ़ाकर कुल 16,491 कर दिया। दो साल बाद, यह संख्या 19,000 सैनिकों तक पहुंच गई थी। फरवरी 2020 में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने तालिबान के साथ एक वापसी समझौते पर हस्ताक्षर किए और 1 मई, 2021 की तारीख सेना वापसी के लिए निर्धारित की। उनके उत्तराधिकारी जो बाइडन ने वादा किया, यह कहते हुए कि यह स्थिति के लिए एक अनिवार्य फैसला था। जून 2020 में अफग़ानिस्तान में 8,600 अमेरिकी सैनिक थे, जो जनवरी में घटकर 2,500 रह गए। हिंसा में वृद्धि और अपने नागरिकों की निकासी के साथ, अमेरिकी सेना की तैनाती वर्तमान में 6,000 तक रह गई है। वरिष्ठ रिपब्लिकन सीनेटर मिच मैककोनेल सहित जो बाइडन के आलोचकों का कहना है कि वहां हमारे 2500 सैनिक तैनात था और वे बिना किसी हताहत के अमेरिका समर्थित सरकार को स्टैबिलाइज़ कर सकते थे। उन्होंने वापसी की प्रक्रिया को "अनाड़ी" कहा, और राष्ट्रपति पर हमला करते हुए मैककोनेल ने कहा कि "उन्हें देश के लिए सही काम करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि, “हमारे पास केवल 2,500 सैनिक थे, हल्का स्पर्श, कोई अराजकता नहीं, युद्ध में एक साल में एक भी अमेरिकी सैनिक नहीं मारा गया।” बाइडेन ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि हमारे पास विकल्प "या तो हमारी सेना को वापस बुलाने का था, या संघर्ष को और बढ़ाने का। हज़ारों अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान में युद्ध में भेज रहे थे, संघर्ष के तीसरे दशक में प्रवेश कर रहे थे।" अफग़ानिस्तान से सेना की वापसी पिछले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एक मुद्दा था, और ऐसा ही पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी किया था। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी अमेरिका सेना की वापसी के दावों को ज़मीनी प्रभावकारिता को प्रभावित करने वाले दावों को ख़ारिज करते हुए कहा कि जब 2017 में राष्ट्रपति ट्रम्प के तहत सेना की तैनाती बढ़ाई गई थी, तब भी तालिबान लड़ाकों ने लाभ कमाया था।
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