2019 में भारत में वायु प्रदूषण से 1.16 लाख नवजात शिशुओं की मौत : रिपोर्ट

वायु प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर समेत भारत के कई राज्यों में काफी बुरा हाल है। पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली के कारण दिल्ली की हवा की गुणवत्ता और बिगड़ रही है। हालात इतने ख़राब है की दिल्ली में हर व्यक्ति ना चाहते हुए भी 15 से 20 सिगरेट पीने जितना ज़हरीला धुआँ झेलने को मजबूर है। इसी बीच स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2020 ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने रखी है। इस रिपोर्ट के आंकड़ों को देखकर भारतीयों को अब संभल जाना चाहिए।
इस रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण की सबसे ज्यादा कीमत नवजात शिशुओं को चुकानी पड़ रही है। देश में हर साल 16.70 लाख शिशुओं की मौतें होती हैं जिसमें एक बड़ा हिस्सा वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों का है। अध्ययन में दावा किया गया है कि पिछले साल भारत में 1.16 लाख नवजात शिशुओं की वायु प्रदूषण के चलते मौत हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार नवजात शिशुओं का पहला महीना उनकी जिंदगी का सबसे जोखिम भरा होता है, मगर आईसीएमआर के हालिया अध्ययनों समेत विभिन्न देशों से प्राप्त वैज्ञानिक प्रमाण यह संकेत देते हैं कि गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चे का वजन कम होता है। समय से पहले जन्म लेने की घटनाएँ भी इससे बढ़ रही हैं। यह दोनों ही स्थितियाँ शिशुओं की मृत्यु से जुड़ी हैं।
आपको बता दें कि पूरे विश्व में कुल मौतों की वजह में चौथी सबसे बड़ी वजह वायु प्रदूषण है, जो कि साल 2019 में 6.67 मिलियन लोगों की जान ले चुका है। अगर महिलाओं की बात करें तो वो भी इस वायु प्रदूषण से काफ़ी ज़्यादा प्रभावित हैं। आंकड़ें गवाह हैं की जो महिलाएं वायु प्रदूषण का शिकार होती हैं तो उससे उनका स्वास्थ्य तो ख़राब होता ही है पर साथ ही असर पैदा होने वाले बच्चों पर भी होता है। यह देखा गया है कि बच्चे अक्सर समय से पहले जन्म ले लेते हैं जिससे या तो उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता या उनकी जल्दी उम्र में मृत्यु हो जाती है। यही वजह है कि भारत में पिछले साल 1.16 लाख नवजात शिशुओं की वायु प्रदूषण के चलते मौत हो गई थी। बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल समेत कई दक्षिण एशियाई देश वर्ष 2019 में पीएम 2.5 के उच्चतम स्तर के मामले में शीर्ष 10 में रहे हैं। इन सभी देशों में वर्ष 2010 से 2019 के बीच आउटडोर पीएम 2.5 के स्तर में बढ़ोतरी देखी गई। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 20 सबसे ज़्यादा आबादी वाले देशों में से पूरे विश्व का कुल 70% वायु प्रदूषण पैदा होता है। हालांकि अब इन 20 देशों में से 14 देशों में वायु प्रदूषण घट रहा है, पर चिंता की बात यह है की भारत इन 14 देशों में शामिल नहीं है। वहीं भारत में भी प्रदूषण को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पहली बार हाइड्रोजन युक्त CNG का इस्तेमाल शुरू किया जा रहा है. केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार साथ मिलकर पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत कर रहे हैं. इसके तहत अगले 6 महीने तक 50 क्लस्टर बसों में हाइड्रोजन मिक्स कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (H-CNG) का इस्तेमाल किया जायेगा.
आपको बता दें कि पूरे विश्व में कुल मौतों की वजह में चौथी सबसे बड़ी वजह वायु प्रदूषण है, जो कि साल 2019 में 6.67 मिलियन लोगों की जान ले चुका है। अगर महिलाओं की बात करें तो वो भी इस वायु प्रदूषण से काफ़ी ज़्यादा प्रभावित हैं। आंकड़ें गवाह हैं की जो महिलाएं वायु प्रदूषण का शिकार होती हैं तो उससे उनका स्वास्थ्य तो ख़राब होता ही है पर साथ ही असर पैदा होने वाले बच्चों पर भी होता है। यह देखा गया है कि बच्चे अक्सर समय से पहले जन्म ले लेते हैं जिससे या तो उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता या उनकी जल्दी उम्र में मृत्यु हो जाती है। यही वजह है कि भारत में पिछले साल 1.16 लाख नवजात शिशुओं की वायु प्रदूषण के चलते मौत हो गई थी। बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल समेत कई दक्षिण एशियाई देश वर्ष 2019 में पीएम 2.5 के उच्चतम स्तर के मामले में शीर्ष 10 में रहे हैं। इन सभी देशों में वर्ष 2010 से 2019 के बीच आउटडोर पीएम 2.5 के स्तर में बढ़ोतरी देखी गई। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 20 सबसे ज़्यादा आबादी वाले देशों में से पूरे विश्व का कुल 70% वायु प्रदूषण पैदा होता है। हालांकि अब इन 20 देशों में से 14 देशों में वायु प्रदूषण घट रहा है, पर चिंता की बात यह है की भारत इन 14 देशों में शामिल नहीं है। वहीं भारत में भी प्रदूषण को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पहली बार हाइड्रोजन युक्त CNG का इस्तेमाल शुरू किया जा रहा है. केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार साथ मिलकर पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत कर रहे हैं. इसके तहत अगले 6 महीने तक 50 क्लस्टर बसों में हाइड्रोजन मिक्स कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (H-CNG) का इस्तेमाल किया जायेगा.
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