भारत में निपटारे की बाँट जोहती 1 लाख करोड़ की शत्रु संपत्ति
हाल में ही लोकसभा में सरकार ने बताया था कि भारत में कुल 12 हज़ार 426 संपत्तियाँ इस एक्ट के अंतर्गत आती हैं और इनकी कुल कीमत तक़रीबन 1 लाख करोड़ रुपये है।

भारत-पाकिस्तान का विभाजन एक ऐसा दर्द है जिसकी टीस अब भी रह-रह कर उठती रहती है। नक्शा बनाकर ज़मीन तो बाँट दी गयी लेकिन विरासत का सवाल अभी भी पूरी तरह हल नहीं हुआ। 1947 में पाकिस्तान जाने वालों की इमारतें भारत में यूूँ ही पड़ी रहीं।
वे अतिक्रमण या अवैध कब्ज़े का शिकार होती रहीं। लेकिन 1965 की जंग से सबकुछ बदल गया। इसके तीन साल बाद भारत ने Enemy Property Act, 1968 पारित किया और भारत छोड़कर गए सभी नवाबों, जागीरदारों और अन्य लोगों की जंमीने, लॉकर्स, सेफ डिपॉजिट्स, कंपनियों में शेयर आदि को सरकार ने अपने कब्जे में लेकर कस्टोडियन नियुक्त कर दिया। इस कस्टोडियन का काम इन सभी इमारतों (शत्रु संपत्ति ) का रख-रखाव और निस्तारण करना था।
हाल में ही लोकसभा में सरकार ने बताया था कि भारत में कुल 12 हज़ार 426 संपत्तियाँ इस एक्ट के अंतर्गत आती हैं और इनकी कुल कीमत तक़रीबन 1 लाख करोड़ रुपये है। ऐसी सबसे ज्यादा इमारतें उत्तर प्रदेश में हैं, जहाँ 5 हज़ार 936 इमारतें और ज़मीन 'शत्रु संपत्ति' के अंतर्गत आती है।
इसमें काफी बड़ा हिस्सा राजा महमूदाबाद का था जिनके पिता मोहम्मद आमिर अहमद खान 1947 में भारत छोड़कर इराक चले गए थे। उन्होंने 1957 में पाकिस्तानी नागरिकता ले ली थी। उनकी जब्त की गई संपत्तियों में लखनऊ के हजरतगंज में बटलर पैलेस, महमूदाबाद हवेली, लॉरी बिल्डिंग और कोर्ट शामिल हैं। ये सभी प्रमुख रियल एस्टेट होल्डिंग्स हैं, विशेष रूप से 200,000 वर्ग फुट में फैला एक विशाल बाजार है। वैसे, उनके वारिसों ने लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद एक हिस्सा वापस हासिल कर लिया है। ये वो वारिस हैं जो कभी भारत छोड़कर नहीं गये।
इसके बाद सबसे ज्यादा ऐसी संपत्ति पश्चिम बंगाल में हैं, जहा 4301 प्रॉपर्टी इस एक्ट के अंतर्गत आती हैं। दरसल, पश्चिम बंगाल से भी काफी लोग विभाजन के वक्त पूर्वी पाकिस्तान चले गये थे जो बाद में बांग्लादेश बना। इस साल फरवरी में प.बंगाल में शत्रु संपत्तियों के कस्टोडियन ने कानूनी परेशानी से मुक्त संपत्तियों की एक सूची बनाना शुरू किया था जिनकी नीलामी की जा सके।
इन इमारतों में B.B.D Bag (तत्कालीन डलहौजी स्क्वायर - केंद्रीय व्यापार केंद्र) , 1 एंड 1-बी ब्रिटिश इंडियन स्ट्रीट, फियर लेन, गणेश चंद्र एवेन्यू, नेताजी सुभाष रोड स्थित संपत्तियाँ शामिल हैं। इस लिस्ट में नेताजी सुभाष रोड स्थित नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान की संपत्ति भी शामिल है।
देश की राजधानी दिल्ली में 659 शत्रु संपत्तियाँ हैं और इसमें ज्यादातर पुरानी दिल्ली के मोतियां खान, कूचा कलां, दरियागंज, पहाड़गंज और अजमेरी गेट इलाक़े में हैं। इसके अलावा गोवा में 295, महाराष्ट्र में 208, तेलंगाना में 157 और गुजरात में 152 शत्रु संपत्तियाँ मौजूद हैं।
केंद्र सरकार चाहती है की यह सभी संपत्तियों का निस्तारण कर दिया जाए। इस साल जनवरी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक मंत्री समूह (जीओएम) बनाया गया जिसे 9,400 से अधिक शत्रु संपत्तियों का निपटारा करना था। हालांकि कोरोना की वजह से इस प्रक्रिया को धीमा करना पड़ा था।
हाल में ही लोकसभा में सरकार ने बताया था कि भारत में कुल 12 हज़ार 426 संपत्तियाँ इस एक्ट के अंतर्गत आती हैं और इनकी कुल कीमत तक़रीबन 1 लाख करोड़ रुपये है। ऐसी सबसे ज्यादा इमारतें उत्तर प्रदेश में हैं, जहाँ 5 हज़ार 936 इमारतें और ज़मीन 'शत्रु संपत्ति' के अंतर्गत आती है।

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