तालिबान का भारत-अफगानिस्तान के व्यापार पर क्या असर होगा ?

तालिबान के अफगानिस्तान पर क़ब्ज़ा करने से भारत और पड़ोसी देश के बीच द्विपक्षीय व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। ये चिंता कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स, कैट ने ज़ाहिर की है। संस्था के उच्च प्रतिनिधियों का कहना है कि अफगानिस्तान से निर्यात की जाने वाली कुछ वस्तुओं के दाम भारतीय बाज़ार में महंगे हो सकते हैं। इसकी वजह दोनों देशों के बीच रिश्तों और द्विपक्षीय व्यापार में अनिश्चितता को माना गया है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया के मुताबिक भारत से अफगानिस्तान को चाय, कॉफी, काली मिर्च, कपास, खिलौने, जूते और विभिन्न अन्य उपभोग्य वस्तुओं का निर्यात किया जाता है जबकि देश अफगानिस्तान से सूखे किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट्स, पिस्ता, सूखे खुबानी और ताजे फल जैसे खुबानी, चेरी, तरबूज, और कुछ औषधीय जड़ी-बूटियाँ आयात करता है।
तालिबान के देश पर क़ब्ज़ा करने के चलते मची उथल पुथल के कारण दोनों देशों की शिपमेंट फंस कर रह गई है। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि भारत के अफगानिस्तान से आयात किए जाने वाले सूखे मेवे के व्यापार पर इस अनिश्चितता का सबसे अधिक असर पड़ेगा।
बता दें कि अफगानिस्तान और भारत के बीच 2020-21 में करीब 1400 मिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था। इस दौरान भारत ने अफगानिस्तान को 826 मिलियन डॉलर की वस्तुएं निर्यात की जबकि वहां से 510 मिलियन डॉलर का निर्यात किया।
आंकड़ों से पता चलता है कि दोनों देशों के बीच वित्त वर्ष 2021 में हुए व्यापार में 2020 के मुकाबले कमी आई है। तब भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 1520 मिलियन डॉलर था जबकि भारत से अफगानिस्तान को 997 मिलियन डॉलर का निर्याता और वहां से 529 मिलियन डॉलर का आयात किया गया था।
दोनों देशों के बीच मुख्यतः व्यापार हवाई मार्गों के जरिए होता है जबकि अफगानिस्तान का एयरस्पेस फिलहाल बंद कर दिया गया है। ऐसे में दोनो देशों के बीच के व्यापार में तालिबान की तानाशाही के बीच और कमी आने के आसार हैं।
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