सऊदी अरब: अब नाबालिगों को नहीं होगी मौत की सज़ा, कोड़े मारने वाले क़ानून भी ख़त्म

सऊदी अरब अब नाबालिगों को अपराध के लिए मौत की सज़ा नहीं देगा। किंग सलमान के फरमान का हवाला देते हुए मानवाधिकार आयोग ने ये बयान जारी किया है।
सऊदी मानवाधिकार आयोग के प्रमुख अव्वाद अल-अव्वाद ने कहा, “अब नाबालिगों को अपराध के लिए मौत की सज़ा नहीं दी जाएगी। इसके बजाय अपराध करने वाले नाबालिग को 10 साल से कम की सज़ा होगी और क़ानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।”
उन्होंने इस फैसले को सऊदी अरब के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम बताया है। उन्होंने कहा, “ये फैसला मॉडर्न पीनल कोड स्थापित करने में मदद करेगा। साथ ही कुछ ज़रूरी सुधार लाने की देश की प्रतिबद्धता को भी बल मिलेगा।” अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक़ किंग सलमान का ये फरमान कब से लागू होगा, ये फिलहाल स्पष्ट नहीं है। सऊदी अरब का कहना है, “18 साल से कम उम्र के लोगों द्वारा किए गए अपराधों के लिए मौत की सज़ा देना, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित बाल अधिकार का उल्लंघन है, जिसे सऊदी अरब ने मंज़ूरी दे दी है।” बता दें कि इससे पहले सऊदी की सुप्रीम कोर्ट ने अपराधियों को दी जाने वाली जिस्मानी सज़ा जैसे कोड़े मारने वाले सज़ाओं को भी खत्म कर दिया है। इसके बदले अपराधों के लिए जेल की सज़ा का प्रावधान किया जा रहा है। कोर्ट का कहना है कि सऊदी प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के फैसले बदलाव लाने वाले हैं और ये उन्हीं की कोशिशों का एक हिस्सा है। अप्रैल 2019 में, सऊदी अरब ने 37 लोगों को आतंकवाद के आरोपों में दोषी क़रार दिया था। उस समय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने इसकी आलोचना की थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के प्रमुख ने कहा था, “सज़ा पाने वाले अधिकांश लोग शिया मुसलमान थे। इस मामले की निष्पक्ष जांच किए बग़ैर ही सज़ा सुनाई गई जिसमें कम से कम तीन नाबालिग शामिल थे।” बता दें कि सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने सामाजिक और आर्थिक नीतियों में बदलावों के लिए एक सीरीज की शुरूआत की है। इसी के तहत रूढ़ीवादी राज्य को आधुनिक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ये भी देखिए
उन्होंने इस फैसले को सऊदी अरब के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम बताया है। उन्होंने कहा, “ये फैसला मॉडर्न पीनल कोड स्थापित करने में मदद करेगा। साथ ही कुछ ज़रूरी सुधार लाने की देश की प्रतिबद्धता को भी बल मिलेगा।” अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक़ किंग सलमान का ये फरमान कब से लागू होगा, ये फिलहाल स्पष्ट नहीं है। सऊदी अरब का कहना है, “18 साल से कम उम्र के लोगों द्वारा किए गए अपराधों के लिए मौत की सज़ा देना, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित बाल अधिकार का उल्लंघन है, जिसे सऊदी अरब ने मंज़ूरी दे दी है।” बता दें कि इससे पहले सऊदी की सुप्रीम कोर्ट ने अपराधियों को दी जाने वाली जिस्मानी सज़ा जैसे कोड़े मारने वाले सज़ाओं को भी खत्म कर दिया है। इसके बदले अपराधों के लिए जेल की सज़ा का प्रावधान किया जा रहा है। कोर्ट का कहना है कि सऊदी प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के फैसले बदलाव लाने वाले हैं और ये उन्हीं की कोशिशों का एक हिस्सा है। अप्रैल 2019 में, सऊदी अरब ने 37 लोगों को आतंकवाद के आरोपों में दोषी क़रार दिया था। उस समय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने इसकी आलोचना की थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के प्रमुख ने कहा था, “सज़ा पाने वाले अधिकांश लोग शिया मुसलमान थे। इस मामले की निष्पक्ष जांच किए बग़ैर ही सज़ा सुनाई गई जिसमें कम से कम तीन नाबालिग शामिल थे।” बता दें कि सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने सामाजिक और आर्थिक नीतियों में बदलावों के लिए एक सीरीज की शुरूआत की है। इसी के तहत रूढ़ीवादी राज्य को आधुनिक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ये भी देखिए
ताज़ा वीडियो