चर्च में हमला करके तीन की जान लेने वाला गिरफ़्तार, फ्रांस में रेड अलर्ट

फ्रांस के नीस शहर के चर्च में गुरुवार को तीन लोगों की जान लेने वाले हमलावर को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है। पुलिस की गोली से घायल हमलावर फिलहाल अस्पताल में है। वह ट्यूनीशिया का रहने वाला है और पिछले महीने ही फ्रांस आया था।
इस हमले में एक बूढ़ी महिला का सिर काट दिया गया था जबकि एक पुरुष और एक महिला की मौत हुई थी। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसी 'इस्लामी आतंकवादी हमला' बताया है। उन्होंने कहा कि हमले के पीछे 'स्वतंत्रता' जैसे फ्रांस के बुनियादी मूल्य हैं जिनका समर्पण किसी हाल में नहीं किया जा सकता।
फ्रांस में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है। आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को उच्चतम स्तर तक पहुँचा दिया गया है। वहीं फ्रांस के ही एविग्नन में मारे गए शख्स के बारे पुलिस ने दावा किया है कि वो एंटी-इमिग्रेंट ग्रुप का समर्थक था और हाल ही में उसने उत्तरी अफ्रीकी मूल के एक स्थानीय व्यापारी के साथ मारपीट की थी। देश के आतंक-विरोधी प्रोसिक्यूटर्स ने हत्या की जांच शुरु कर दी है। नीस के मेयर क्रिश्चियन एस्ट्रोसी ने हमले को 'इस्लामी-फासीवाद' क़रार दिया है और दावा किया है कि हमलावर बार-बार 'अल्लाहु अकबर' चिल्ला रहा था। इसके अलावा गुरुवार को ही फ़्रांस और सऊदी अरब में एक-एक हमला हुआ। दक्षिणी फ़्रांसीसी शहर एविन्यू के नज़दीक मोंफ़ेवे में एक शख़्स को गोली मारी गई जिससे उसकी मौत हो गयी। वह हैंडगन से पुलिस को धमकी दे रहा था। वहीं, सऊदी अरब के जेद्दा में फ़्रांस वाणिज्य दूतावास के बाहर एक सुरक्षाकर्मी पर हमला किया गया। संदिग्ध हमलावर को हिरासत में लिया गया है जबकि सुरक्षाकर्मी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दरअसल, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हाल ही में पैग़ंबर मुहम्मद का आपत्तिजनक कैरिकेचर छापने वाली मैग़्ज़ीन शार्ली हेब्दो का बचाव करते हुए कहा था कि इसका प्रकाशन बंद नहीं किया जायेगा। इसके बाद कई मुस्लिम देशों में फ्रांस के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हो गये। मैक्रों को इस्लाम विरोधी बताते हुए उन पर 'इस्लामोफेबिया' फैलाने का आरोप लगाया गया। हालाँकि तमाम यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका और भारत ने कट्टरपंथियों के ख़िलाफ़ फ्रांस के राष्ट्रपति की कार्रवाई को जायज़ बताया है।
फ्रांस में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है। आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को उच्चतम स्तर तक पहुँचा दिया गया है। वहीं फ्रांस के ही एविग्नन में मारे गए शख्स के बारे पुलिस ने दावा किया है कि वो एंटी-इमिग्रेंट ग्रुप का समर्थक था और हाल ही में उसने उत्तरी अफ्रीकी मूल के एक स्थानीय व्यापारी के साथ मारपीट की थी। देश के आतंक-विरोधी प्रोसिक्यूटर्स ने हत्या की जांच शुरु कर दी है। नीस के मेयर क्रिश्चियन एस्ट्रोसी ने हमले को 'इस्लामी-फासीवाद' क़रार दिया है और दावा किया है कि हमलावर बार-बार 'अल्लाहु अकबर' चिल्ला रहा था। इसके अलावा गुरुवार को ही फ़्रांस और सऊदी अरब में एक-एक हमला हुआ। दक्षिणी फ़्रांसीसी शहर एविन्यू के नज़दीक मोंफ़ेवे में एक शख़्स को गोली मारी गई जिससे उसकी मौत हो गयी। वह हैंडगन से पुलिस को धमकी दे रहा था। वहीं, सऊदी अरब के जेद्दा में फ़्रांस वाणिज्य दूतावास के बाहर एक सुरक्षाकर्मी पर हमला किया गया। संदिग्ध हमलावर को हिरासत में लिया गया है जबकि सुरक्षाकर्मी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दरअसल, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हाल ही में पैग़ंबर मुहम्मद का आपत्तिजनक कैरिकेचर छापने वाली मैग़्ज़ीन शार्ली हेब्दो का बचाव करते हुए कहा था कि इसका प्रकाशन बंद नहीं किया जायेगा। इसके बाद कई मुस्लिम देशों में फ्रांस के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हो गये। मैक्रों को इस्लाम विरोधी बताते हुए उन पर 'इस्लामोफेबिया' फैलाने का आरोप लगाया गया। हालाँकि तमाम यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका और भारत ने कट्टरपंथियों के ख़िलाफ़ फ्रांस के राष्ट्रपति की कार्रवाई को जायज़ बताया है।
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