‘स्वेज नहर’ में फंसा विशाल कार्गो जहाज़, भारत को हो सकता है भारी नुकसान

दिल्ली से 4300 किलोमीटर दूर मिस्र की स्वेज नहर में काफ़ी दिनों से एक विशालकाय आकार का कार्गो शिप ‘एमवी एवर गिवेन’ फंसा हुआ है। कार्गो जहाज के फंसने से लाल सागर और भूमध्य सागर में ट्रैफिक जाम लग गया है और जो ट्रैफिक रुका है उसकी वजह से करीब 10 बिलियन डॉलर की कीमत का सामान अपने गंतव्य स्थान तक पहुंच नहीं पा रहा है। कई देशों में पेट्रोलियम पदार्थों की डिलवरी में देरी हो रही है। ट्रैफिक जाम में कम से कम 10 क्रूड ट्रैकर फंसे हैं, जिनमें 13 मिलियन बैरल कच्चा तेल लदा है।
स्वेज नहर में जहाज फंसने से पूर्वी और पश्चिमी देशों के बीच समुद्र के रास्ते होने वाला व्यापार प्रभावित हुआ है। इससे भारत को भारी नुकसान की आशंका है और साथ ही अहम मैन्युफैक्चरिंग सप्लाई बाधित हो सकती है।
इस संकट के कारण भारत से यूरोप, नॉर्थ अमेरिका और साउथ अमेरिका के लिए ऑयल, टेक्सटाइल, फर्नीचर, कॉटन, ऑटो कंपोनेंट्स और मशीन पार्ट्स की खेप 10 से 15 दिन लेट हो सकती है। इसी तरह भारत को तेल, स्टील के आइटम, स्क्रैप और मशीन पार्ट्स जैसे बेसिक केमिकल्स के आयात में देरी हो सकती है। वहीं कार्गो फंसने के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में भी उछाल आया है। बता दें कि स्वेज नहर में हर दिन 50 जहाज व्यापार की आवाजाही करते हैं और दुनिया का 12 फीसदी व्यापार स्वेज नहर से होकर गुजरता है। भारत की तरफ से आने वाला कपास जिनसे कपड़े बनते हैं, मिडिल ईस्ट से आने वाले पेट्रोलियम पदार्थ जो प्लास्टिक के लिए उपयोग होते हैं और चीन से आने वाले ऑटो पार्ट्स, ये सभी यूरोपियन प्रॉडक्ट्स के लिए बहुत ही जरूरी हैं। अब रास्ता बंद होने की वजह से ये यूरोप फिलहाल नहीं पहुंच पा रहे हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि स्वेज नहर भूमध्य सागर और लाल सागर को आपस में जोड़ती है। यूरोप और एशिया के बीच होने वाले व्यापार के लिए यह किसी शॉर्ट कट की तरह है। अगर स्वेज नहर में फंसे जहाज को जल्दी नहीं निकाला जाता है तो जहाजों को केप ऑफ गुड होप के रास्ते गुजरना होगा जिससे यात्रा में 15 दिन की और देरी हो जाएगी और इसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ सकता है।
इस संकट के कारण भारत से यूरोप, नॉर्थ अमेरिका और साउथ अमेरिका के लिए ऑयल, टेक्सटाइल, फर्नीचर, कॉटन, ऑटो कंपोनेंट्स और मशीन पार्ट्स की खेप 10 से 15 दिन लेट हो सकती है। इसी तरह भारत को तेल, स्टील के आइटम, स्क्रैप और मशीन पार्ट्स जैसे बेसिक केमिकल्स के आयात में देरी हो सकती है। वहीं कार्गो फंसने के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में भी उछाल आया है। बता दें कि स्वेज नहर में हर दिन 50 जहाज व्यापार की आवाजाही करते हैं और दुनिया का 12 फीसदी व्यापार स्वेज नहर से होकर गुजरता है। भारत की तरफ से आने वाला कपास जिनसे कपड़े बनते हैं, मिडिल ईस्ट से आने वाले पेट्रोलियम पदार्थ जो प्लास्टिक के लिए उपयोग होते हैं और चीन से आने वाले ऑटो पार्ट्स, ये सभी यूरोपियन प्रॉडक्ट्स के लिए बहुत ही जरूरी हैं। अब रास्ता बंद होने की वजह से ये यूरोप फिलहाल नहीं पहुंच पा रहे हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि स्वेज नहर भूमध्य सागर और लाल सागर को आपस में जोड़ती है। यूरोप और एशिया के बीच होने वाले व्यापार के लिए यह किसी शॉर्ट कट की तरह है। अगर स्वेज नहर में फंसे जहाज को जल्दी नहीं निकाला जाता है तो जहाजों को केप ऑफ गुड होप के रास्ते गुजरना होगा जिससे यात्रा में 15 दिन की और देरी हो जाएगी और इसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ सकता है।
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