ऐतिहासिक: भारत का निर्यात 400 अरब डॉलर पर पहुंचा, व्यापार घाटा निर्यात का लगभग आधा !

भारत सरकार ने हाल ही में 400 अरब डॉलर के 'रिकॉर्ड' निर्यात लक्ष्य का ऐलान किया है, लेकिन वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 के 21 मार्च तक भारत का व्यापार घाटा 188.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो वित्त वर्ष 2021 के दरमियान 102.6 अरब डॉलर रहा था।
जनवरी 2022 के अंत में, आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में कहा गया कि भारत ने 301.4 अरब डॉलर के सामान का निर्यात किया था, जो कि 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते पर है। सर्वेक्षण के मुताबिक़ इस बड़े निर्यात के पीछ पेट्रोलियम, तेल और ल्युब्रिकेंट्स का योगदान रहा जिसका कुल निर्यात में 15 फीसदी योगदान बढ़ा है। हालांकि व्यापार घाटे को ऩज़रअंदाज़ करते हुए निर्यात को इसके व्यापक विस्तार के रूप में देखा गया है। हाल के दिनों में रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई बाधित हो रहा है और में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं। ऐसे में इसके निर्यातक देशों की कमाई भी बढ़ी है और उन्हीं में भारत भी शामिल है।
सोने और तेल के निर्यात को छोड़कर व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात वित्त वर्ष 2021 में 238 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 283 अरब डॉलर हो गया। वित्त वर्ष 2022 में पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात मूल्य में 114% की वार्षिक बढ़ोत्तरी देखी गई है।
इंजीनियरिंग सामानों का भारत के व्यापारिक निर्यात में 101 अरब डॉलर का योगदान रहा। वित्त वर्ष 2022 में कुल निर्यात में इसका योगदान 26.9 फीसदी रहा जो वित्त वर्ष 2021 की तुलना में 31.8 फीसदी की बढ़ोत्तरी है।
रत्न और आभूषण, कपास, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक सामान, रसायन, प्लास्टिक और लिनोलियम उत्पाद कुछ ऐसे उत्पाद हैं, जिनके निर्यात में वृद्धि देखी गई है।
रिपोर्ट लिखने तक, ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई वायदा क्रमशः $ 122 और $ 114.90 पर कारोबार कर रहे हैं, जिससे पेट्रोलियम निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है, लेकिन भारत की कच्चे तेल की आयात लागत भी बढ़ रही है। भारत अपनी ज़रूरतों का लगभग 84%, कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है।
इसलिए, जबकि 400 अरब डॉलर के 'निर्यात लक्ष्य' को हासिल करने की 37% वार्षिक वृद्धि के रूप में सराहना की जा रही है, फिर भी व्यापार घाटा न सिर्फ प्रत्यक्ष लागत की वजह से बल्कि कमोडिटी आयात पर समग्र महंगाई के दबाव की वजह से भी बढ़ी है।
कुछ उदाहरण हैं- सूरजमुखी तेल, जिसका घरेलू खुदरा महंगाई पर सीधा असर पड़ता है, और फॉस्फेटिक उर्वरक जो कृषि क्षेत्र और कृषि सब्सिडी को प्रभावित कर सकते हैं। भले ही रूस के साथ भारत का व्यापार उसके कुल व्यापार का 1.3% है, यह जनवरी 2021 में ₹41.372 बिलियन से बढ़कर जनवरी 2022 में ₹89.892 बिलियन हो गया है।
8 मार्च को अमेरिका द्वारा रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के बाद से कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का अन्य वस्तुओं की कीमतों में महंगाई के संदर्भ में बुरा प्रभाव पड़ा है, जिन वस्तुओं का भारत रूस और यूक्रेन से आयात करता है। सप्लाई नहीं हो पाने की वजह से उन वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं।
साथ ही आपको बता दें कि 13 मार्च मॉर्गन स्टेनली ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के जीडीपी विकास दर को घटाकर 7.9 फीसदी कर दिया था और खुदरा महंगाई दर को भी 6 फीसदी तक बढ़ा दिया था।
इसलिए जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने 400 अरब डॉलर के 'निर्यात लक्ष्य' की प्रशंसा 'आत्मनिर्भर' भारत के उदाहरण के रूप में की, तो तथ्य यह है कि इसका व्यापार घाटा, यानी बाहरी दुनिया पर निर्भरता बरक़रार है और यह कम नहीं हो रहा है।

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जनवरी 2022 के अंत में, आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में कहा गया कि भारत ने 301.4 अरब डॉलर के सामान का निर्यात किया था, जो कि 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते पर है। सर्वेक्षण के मुताबिक़ इस बड़े निर्यात के पीछ पेट्रोलियम, तेल और ल्युब्रिकेंट्स का योगदान रहा जिसका कुल निर्यात में 15 फीसदी योगदान बढ़ा है। हालांकि व्यापार घाटे को ऩज़रअंदाज़ करते हुए निर्यात को इसके व्यापक विस्तार के रूप में देखा गया है। हाल के दिनों में रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई बाधित हो रहा है और में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं। ऐसे में इसके निर्यातक देशों की कमाई भी बढ़ी है और उन्हीं में भारत भी शामिल है।


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