साल दर साल तेज़ होती जा रही है सर्दी, गर्मी और बारिश
सरकार और आम लोग अब भी नहीं चेते, तो आने वाले समय में प्रकृति और भी भयानक रूप धारण कर सकती है।

उत्तराखंड के जोशीमठ में हुई त्रासदी के चलते पूरी दुनियाभर में बदल रहा मौसम फिर चर्चा में आ गया है। हाल में ही खुद केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी थी की भारत में भी भारी बारिश, बाढ़, सूखा, तूफ़ान और बढ़ती सर्दी गर्मी जैसी घटनाओं में पिछले कुछ सालों में इज़ाफ़ा हुआ है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन ने लोकसभा में एक जवाब में बताया कि पिछले लगभग 100 सालों में भारत का तापमान 0.7 डिग्री बढ़ गया है। अपने मंत्रालय की ही एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि पिछले कुछ सालों से राजस्थान, आंध्र प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में जहा गर्मी में बढ़ोतरी हुई है, वहीं हरियाणा, जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश में शीतलहर की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है।
यही नहीं देश में आने वाले चक्रवाी तूफानों की संख्या में भी तेज़ी आयी है और देश में अब पहले से कहीं ज्यादा भारी बारिश देखने को मिल रही है। मसलन देश में जहाँ 2012 में 1251 मौसम स्टेशनों पर 150 से 200 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी थी, वहीं यह आँकड़ा 2019 आते आते पहुंच गया 3056 मौसम स्टेशनों पर। इसी तरह देश में जहा 2012 में 185 मौसम स्टेशनो पर 204 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश दर्ज़ हुई थी, वही यह आंकड़ा 2019 आते आते पहुंच 524 मौसम स्टेशन। आसान भाषा में कहें तो बारिश का मौसम छोटा हो गया है लेकिन बारिश कम समय में ही ज्यादा बरसती है। यही हाल है सर्दी और गर्मी का, दोनों अब पहले से ज़्यादा तेवरों के साथ पड़ती हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक राजस्थान में जहाँ 1971 से 80 के बीच 6 हीट वेव दर्ज़ हुई, वही 2011से 2019 के बीच यह आँकड़ा दोगुना यानी 12 हो गया। इसी तरह दिल्ली में भी पहले के मुकाबले गर्मी के मौसम में अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है। इसी तरह दक्षिण के राज्य आंध्र प्रदेश में जहाँ 1971 से 80 के बीच 3 शीतलहरें दर्ज हुईं, वही यह आंँकड़ा 2011 से 2019 के बीच 7 पहुंच गया। इन आंकड़ों से समझना मुश्किल नहीं कि कैसे पर्यावरण के साथ लगातार छेड़छाड़ के चलते देश में मौसम का रंग तेज़ी से बदल रहा है। सरकार और आम लोग अब भी नहीं चेते, तो आने वाले समय में प्रकृति और भी भयानक रूप धारण कर सकती है।
यही नहीं देश में आने वाले चक्रवाी तूफानों की संख्या में भी तेज़ी आयी है और देश में अब पहले से कहीं ज्यादा भारी बारिश देखने को मिल रही है। मसलन देश में जहाँ 2012 में 1251 मौसम स्टेशनों पर 150 से 200 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी थी, वहीं यह आँकड़ा 2019 आते आते पहुंच गया 3056 मौसम स्टेशनों पर। इसी तरह देश में जहा 2012 में 185 मौसम स्टेशनो पर 204 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश दर्ज़ हुई थी, वही यह आंकड़ा 2019 आते आते पहुंच 524 मौसम स्टेशन। आसान भाषा में कहें तो बारिश का मौसम छोटा हो गया है लेकिन बारिश कम समय में ही ज्यादा बरसती है। यही हाल है सर्दी और गर्मी का, दोनों अब पहले से ज़्यादा तेवरों के साथ पड़ती हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक राजस्थान में जहाँ 1971 से 80 के बीच 6 हीट वेव दर्ज़ हुई, वही 2011से 2019 के बीच यह आँकड़ा दोगुना यानी 12 हो गया। इसी तरह दिल्ली में भी पहले के मुकाबले गर्मी के मौसम में अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है। इसी तरह दक्षिण के राज्य आंध्र प्रदेश में जहाँ 1971 से 80 के बीच 3 शीतलहरें दर्ज हुईं, वही यह आंँकड़ा 2011 से 2019 के बीच 7 पहुंच गया। इन आंकड़ों से समझना मुश्किल नहीं कि कैसे पर्यावरण के साथ लगातार छेड़छाड़ के चलते देश में मौसम का रंग तेज़ी से बदल रहा है। सरकार और आम लोग अब भी नहीं चेते, तो आने वाले समय में प्रकृति और भी भयानक रूप धारण कर सकती है।
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