प्रदूषण को काबू करने वाले कानून को राष्ट्रपति ने दी मंज़ूरी, आयोग का होगा गठन

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए अब केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई है. दिल्ली-एनसीआर और इससे सटे राज्य हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और यूपी में वायु प्रदूषण को रोकने, उपाय सुझाने और उसको मॉनिटर करने के लिए एक आयोग बनाने के लिए अध्यादेश को मंजूरी मिल गई है. इस आयोग में एक अध्यक्ष और 17 सदस्य होंगे जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा.
साथ ही दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब और राजस्थान के प्रतिनिधि शामिल होंगे. यह आयोग केंद्र सरकार की देखरेख में काम करेगा. इस आयोग की अध्यक्षता सचिव या मुख्य सचिव रैंक के एक सरकारी अधिकारी द्वारा की जाएगी, और इसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव और पांच अन्य सचिव / मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी शामिल होंगे.
इस आयोग के आने के बाद इपीसीए के साथ-साथ तमाम समितियों, टास्क फोर्स,न्यायालय द्वारा बनाई गई समितियों को ख़त्म कर दिया जाएगा. वायु प्रदूषण को लेकर बनी अलग-अलग समितियों और आदेशों में अक्सर समन्वय नहीं बन पाता था. अब सिर्फ़ यह आयोग ही वायु प्रदूषण संबंधी आदेश और निर्देश जारी करेगा. यह आयोग जनता की भागीदारी और समन्वय पर जोर देगा. यह आयोग लगातार अपने काम और रिपोर्ट की जानकारी संसद के पटल पर रखेगा. इस आयोग में 3 उप समितियां होंगी, जिसमें निगरानी और पहचान पर, सुरक्षा और प्रवर्तन पर और अनुसंधान और विकास पर उप समिति होगी. आयोग चाहे तो देश के सड़क ऊर्जा ,शहरी विकास मंत्रालयों से भी सदस्य रख सकता है. इस आयोग के पास दिल्ली एनसीआर से संबंधित प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई भी आदेश देने की शक्ति होगी और कोई भी दूसरी समिति या अथॉरिटी आयोग के आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर सकेगी. इस आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होगा. अध्यक्ष अगर भ्रष्टाचार या अपने पद का दुरुपयोग करते पाया गया तो उसे हटाने का अधिकार भी केंद्र सरकार के पास होगा. इस आयोग में केंद्र सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी कोआर्डिनेटर होगा. आयोग द्वारा बनाए गए तमाम नियम-कानूनों को 30 दिन के अदर या तुरंत संसद के अंदर प्रस्तुत किया जाएगा. आयोग के पास प्रदूषण संकट को समाप्त करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने, शिकायतों के आधार पर स्वत: संज्ञान लेने, बिजली आपूर्ति रोकने या किसी संस्था या उद्योग के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार होगा. इस आयोग के पास 5 साल तक सज़ा देने और 1 करोड़ तक जुर्माना लगाने के अधिकार होंगे. आयोग के आदेशों को सिर्फ एनजीटी में ही चुनौती दी जा सकेगी.
इस आयोग के आने के बाद इपीसीए के साथ-साथ तमाम समितियों, टास्क फोर्स,न्यायालय द्वारा बनाई गई समितियों को ख़त्म कर दिया जाएगा. वायु प्रदूषण को लेकर बनी अलग-अलग समितियों और आदेशों में अक्सर समन्वय नहीं बन पाता था. अब सिर्फ़ यह आयोग ही वायु प्रदूषण संबंधी आदेश और निर्देश जारी करेगा. यह आयोग जनता की भागीदारी और समन्वय पर जोर देगा. यह आयोग लगातार अपने काम और रिपोर्ट की जानकारी संसद के पटल पर रखेगा. इस आयोग में 3 उप समितियां होंगी, जिसमें निगरानी और पहचान पर, सुरक्षा और प्रवर्तन पर और अनुसंधान और विकास पर उप समिति होगी. आयोग चाहे तो देश के सड़क ऊर्जा ,शहरी विकास मंत्रालयों से भी सदस्य रख सकता है. इस आयोग के पास दिल्ली एनसीआर से संबंधित प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई भी आदेश देने की शक्ति होगी और कोई भी दूसरी समिति या अथॉरिटी आयोग के आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर सकेगी. इस आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होगा. अध्यक्ष अगर भ्रष्टाचार या अपने पद का दुरुपयोग करते पाया गया तो उसे हटाने का अधिकार भी केंद्र सरकार के पास होगा. इस आयोग में केंद्र सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी कोआर्डिनेटर होगा. आयोग द्वारा बनाए गए तमाम नियम-कानूनों को 30 दिन के अदर या तुरंत संसद के अंदर प्रस्तुत किया जाएगा. आयोग के पास प्रदूषण संकट को समाप्त करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने, शिकायतों के आधार पर स्वत: संज्ञान लेने, बिजली आपूर्ति रोकने या किसी संस्था या उद्योग के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार होगा. इस आयोग के पास 5 साल तक सज़ा देने और 1 करोड़ तक जुर्माना लगाने के अधिकार होंगे. आयोग के आदेशों को सिर्फ एनजीटी में ही चुनौती दी जा सकेगी.
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