दिसंबर में देश का बिजली उत्पादन घटा, निर्धारित लक्ष्य से 7.7 फीसदी कम

सरकरी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर के महीने में बिजली उत्पादन घटा है। यानि जाड़े के मौसम में जब आमतौर पर जब मांग ज्यादा होती है, उस समय भी बिजली उत्पादन का घटना दर्शाता है की देश की अर्थव्यवस्था कितने मुश्किल दौर से गुजर रही है। ये हाल कमोवेश पुरे साल रहा है।
देश आर्थिक मोर्चे पर कैसे लड़खड़ा रहा है इसका एक संकेत सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के ताज़ा आंकड़ों से मिलता है। जारी आंकड़ों के मुताबिक बिजली उत्पादन का दिसंबर महीने में लक्ष्य 107080 मिलियन यूनिट्स था लेकिन 98762 मिलियन यूनिट्स का ही उत्पादन हुआ। यानि लक्ष्य से 7.7 फीसदी कम। अगर इसी आकड़े को पिछले साल के दिसंबर के आकड़े से तुलना करे तो उसमे भी ये 2.1 फीसदी कम है। सीधी भाषा में कहे तो दिसंबर यानि जाड़े के मौसम में जब आमतौर पर घरो और कारखानों में मांग ज्यादा होती है, उस समय ज्यादा मांग को देखते हुए बिजली उत्पादन को बढ़ना चाहिए लेकिन उल्टा ये घट रहा है।
आंकड़े बताते है इस वित वर्ष में बिजली उत्पादन में सबसे ज्यादा गिरावट दक्षिण जोन में आयी है, जहा लक्ष्य था 201,568 मिलियन यूनिट्स का लेकिन 184,705 मिलियन यूनिट्स का ही उत्पादन हो पाया है पिछले 9 महीने में। यानि दक्षिण जोन में लक्ष्य और उत्पादन में -8.37 फीसदी, पूर्वोत्तर जोन में -7.31 फीसदी, उत्तरी जोन में -5.55 फीसदी, पूर्वी जोन में -5.24 फीसदी और पश्चिमी जोन में -4.28 का फर्क रहा। वीडियो देखिये इसके अलावा आकड़े बताते है, कोयले से पैदा होने वाली बिजली में तक़रीबक -8.72 फीसदी की ज़बरदस्त गिरावट आयी है जिसकी भरपाई पनबिजलीघरो से की गयी है। ये आंकड़े उद्योग जगत में चल रही मंदी का सबसे बड़ा प्रमाण है।
आंकड़े बताते है इस वित वर्ष में बिजली उत्पादन में सबसे ज्यादा गिरावट दक्षिण जोन में आयी है, जहा लक्ष्य था 201,568 मिलियन यूनिट्स का लेकिन 184,705 मिलियन यूनिट्स का ही उत्पादन हो पाया है पिछले 9 महीने में। यानि दक्षिण जोन में लक्ष्य और उत्पादन में -8.37 फीसदी, पूर्वोत्तर जोन में -7.31 फीसदी, उत्तरी जोन में -5.55 फीसदी, पूर्वी जोन में -5.24 फीसदी और पश्चिमी जोन में -4.28 का फर्क रहा। वीडियो देखिये इसके अलावा आकड़े बताते है, कोयले से पैदा होने वाली बिजली में तक़रीबक -8.72 फीसदी की ज़बरदस्त गिरावट आयी है जिसकी भरपाई पनबिजलीघरो से की गयी है। ये आंकड़े उद्योग जगत में चल रही मंदी का सबसे बड़ा प्रमाण है।
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