मनमोहन ने सात पायदान चढ़ाया, मोदी राज में तीन पायदान गिरी भारतीय अर्थव्यवस्था

देश आर्थिक ढलान पर है। केन्द्र सरकार भले ही आर्थिक तबाही के लिए महामारी और लॉकडाउन को ज़िम्मेदार ठहराये लेकिन हक़ीक़त यह है की भारत आर्थिक मोर्चे पर बहुत पहले ही फिसलने लगा था। साल की शुरुआत में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने वैश्विक मंदी के लिए संकट में फंसी भारत की अर्थव्यवस्था को ज़िम्मेदार ठहराया था। तब सरकार अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक मंदी को ज़िम्मेदार ठहराती थी।
यह बात किसी से छुपी नहीं है की पहले नोटबंदी, जीएसटी और बाद में हड़बड़ी में लगे लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर दी लेकिन देश में मचे सियासी हल्ले में आंकड़े पीछे छूट जाते हैं। देखिए यह ख़ास रिपोर्ट और समझिये देश की अर्थव्यवस्था की असल में हालत क्या है।
वर्ल्ड बैंक के इंटरनेशनल कम्पेरिजन प्रोग्राम (आईसीपी) के मुताबिक 2005 में भारत दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी लेकिन मात्र 6 सालों में यानि 2011 में जापान को पछाड़कर अमेरिका और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बना।
यह समय था यूपीए का जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने 2004 और 2009 में दो बार सरकार बनाई । देश में ग्रामीण रोजगार से लेकर, पढ़ाई, भोजन, सभी मूलभूत चीज़ो के लिए कानून बन रहे थे ताकि इन सब की भारतीयों के पास गारंटी हो। ज़ाहिर है इससे अर्थव्यवस्था अरबी घोड़े की तरह भाग रही थी और मिडिल क्लास मोटा हो रहा था। भारत वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के मुताबिक भी 25 वर्षों में भारत की तरक्की बेहद ही नाटकीय रही है और 1995 के बाद से, देश की नॉमिनल जीडीपी 700% से अधिक बढ़ गई है।
उसके बाद कांग्रेस की 2014 में करारी हार हुई और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई। आर्थिक जानकारों के मुताबिक उनके कार्यकाल के पहले 2 सालों में जो जीडीपी के आंकड़े आए, उसके मनमोहन सरकार के आखिरी वर्षो में हुए काम की अहम भूमिका थी।
उसके देश में भ्रष्टाचार ख़त्म करने के दावे के साथ नोटबंदी हुई, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था और रोजगार जैसे समाप्त ही हो गए। फिर जीएसटी लागु हुई जिसने अर्थव्यवस्था की गिरावट को जैसे गति दे दी। 2019 आते आते वर्ल्ड इकनोमिक फोरम के मुताबिक भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रह गया और इस वर्ष लॉकडाउन की बाद जीडीपी के आये आंकड़ों ने सुधार के सारे भ्रम दूर कर दिए। इस वर्ष जून तिमाही के जीडीपी के आंकड़े स्वतंत्रता बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे ख़राब प्रदर्शन की मुनादी कर रहे हैं।
और अब Centre for Economics and Business Research की रिपोर्ट में बताया गया गया है कि दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की सूची में भारत छठे स्थान पर आ गया है। आसान शब्दों में कहें तो मनमोहन सिंह के 6 सालों में भारत ने 7 पायदान की छलांग लगाई, पर मोदी के कार्यकाल में देश 3 स्थान नीचे लुढ़क गया। अर्थव्यवस्था को दोबारा खड़ा करना सरकार के लिए आने वाले साल की सबसे बड़ी आर्थिक चुनौती होगी।
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