असमानता का असर: सस्ती कारों की बिक्री घटी, दोपहिया वाहन भी नहीं खरीद पा रहे उपभोक्ता !

by GoNews Desk 1 year ago Views 7785

Effect of inequality: Sales of cheap cars decrease
भारत में कम दाम की कारें अब कम बिक रही है। इसका मतलब यह नहीं है कि महंगी कारें उपभोक्ता की पसंद बन रही है बल्कि उपभोक्ता सस्ती कार खरीदने की स्थिति में भी नहीं है। 

आंकड़ों के मुताबिक़, यात्री वाहन बाज़ार में पांच लाख तक की कारों की हिस्सेदारी 2021-22 के पहले 11 महीनों में गिरकर 10.5 फीसदी हो गई है, जबकि 2018-19 में यह 26 फीसदी थी, जो चार साल में सबसे कम है। 


यहां तक ​​कि 5 लाख से 7.5 लाख रुपये की कीमत वाली कारों की बिक्री इसी अवधि में 34.9 फीसदी से घटकर 32.4 फीसदी रह गई है।

दिलचस्प बात यह है कि महंगे मॉडल - जिनकी कीमत 10 लाख से 12.5 लाख के बीच है उनकी हिस्सेदारी इसी अवधि में बढ़कर 11.5 फीसदी हो गई, जो वित्त वर्ष 2019 के बाद से सबसे ज़्यादा है, जब उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 5.5 फीसदी ही थी।

जानकार मानते हैं कि पिछले चार सालों के दरमियान जिस दर से कार की कीमतें बढ़ी है उस दर से लोगों की तनख़्वाह नहीं बढ़ी। छोटी कारों की कीमतों में औसतन 20-25 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, जिसमें उत्सर्जन और सुरक्षा नियमों का प्रभाव पड़ रहा है। 

शशांक श्रीवास्तव ने कहा इनमें भारत स्टेज VI (BSVI) , एयरबैग और एक एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, अन्य नियामक परिवर्तन शामिल हैं, जिससे कारों की कीमतें बढ़ जाती है।

ऐसा ही ट्रेंड टू-व्हीलर सेगमेंट में भी देखा जा रहा है, जो पिछले तीन साल से लंबी मंदी का सामना कर रहा है। क्रिसिल रिसर्च ने एक वेबिनार में कहा कि भले ही मंदी व्यापक रही हो, 70,000 तक की कीमत वाली मोटरसाइकिलों की बिक्री वित्त वर्ष 2022 के पहले नौ महीनों में 41 फीसदी गिर गई है, जबकि 70,000 से ऊपर की कीमत में सिर्फ तीन फीसदी की गिरावट देखी गई है।

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यूक्रेन में चल रहे युद्ध और कमोडिटी की कीमतों बढ़ने के साथ, विश्लेषकों को दोपहिया और यात्री कारों दोनों के स्वामित्व की कुल लागत बढ़ने की उम्मीद है। 

हाल ही में एक रिसर्च रिपोर्ट में आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के बासुदेब बनर्जी ने लिखा, ब्रेंट कच्चे तेल की कीमत में 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ इनपुट कमोडिटी की लागत में बढ़ोत्तरी अगर वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही तक बनी रहती है, तो वित्त वर्ष 2023 में (कार-खरीदारों के लिए) साल-दर-साल स्वामित्व की कुल लागत में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है।

GoNews ने आपको पहले बताया था कि भारत में असमानताएं बढ़ रही है। इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि देश के दस फीसदी लोगों के पास देश की कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी हिस्सा है। इनके अलावा देश के सिर्फ 1 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनके पास कुल राष्ट्रीय आय का 22 फीसदी हिस्सा है।

यही वजह है कि अब सिर्फ इसके समर्थ लोग ही अपनी कार की सवारी कर पा रहे हैं।

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