असमानता का असर: सस्ती कारों की बिक्री घटी, दोपहिया वाहन भी नहीं खरीद पा रहे उपभोक्ता !

भारत में कम दाम की कारें अब कम बिक रही है। इसका मतलब यह नहीं है कि महंगी कारें उपभोक्ता की पसंद बन रही है बल्कि उपभोक्ता सस्ती कार खरीदने की स्थिति में भी नहीं है।
आंकड़ों के मुताबिक़, यात्री वाहन बाज़ार में पांच लाख तक की कारों की हिस्सेदारी 2021-22 के पहले 11 महीनों में गिरकर 10.5 फीसदी हो गई है, जबकि 2018-19 में यह 26 फीसदी थी, जो चार साल में सबसे कम है।
यहां तक कि 5 लाख से 7.5 लाख रुपये की कीमत वाली कारों की बिक्री इसी अवधि में 34.9 फीसदी से घटकर 32.4 फीसदी रह गई है। दिलचस्प बात यह है कि महंगे मॉडल - जिनकी कीमत 10 लाख से 12.5 लाख के बीच है उनकी हिस्सेदारी इसी अवधि में बढ़कर 11.5 फीसदी हो गई, जो वित्त वर्ष 2019 के बाद से सबसे ज़्यादा है, जब उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 5.5 फीसदी ही थी।
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