केंद्र सरकार इन 26 कंपनियों को बेचने पर लगा चुकी है मुहर, आरटीआई से मिला जवाब

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में कई सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया था. अब आरटीआई के ज़रिए पता चला है कि ऐसी 26 सरकारी कंपनियां हैं जिन्हें बेचने या विनिवेश की तैयारी चल रही है.
इन कंपनियों में प्रोजेक्ट एंड डेवलपमेंट लिमिटेड, इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड, पवन हंस लिमिटेड, बी एन आर कंपनी लिमिटेड, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड, एयर इंडिया, सीमेंट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड, भारतीय चिकित्सा और फार्मास्यूटिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड, सलेम स्टील प्लांट, भद्रावती स्टील प्लांट, दुर्गापुर स्टील प्लांट, फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड, एनडीएमसी का नागरनार स्टील प्लांट, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, एचएलएल लाइफकेयर, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, शिपिंग कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया, कॉन्टेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड, हिंदुस्तान प्रीफैब लिमिटेड, भारत पंप्स और कंप्रेशर्स लिमिटेड, स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स और फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, बेंगल केमिकल्स और फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड, भारतीय पर्यटन विकास निगम और हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड शामिल हैं.
इन नामोॆं का पता आरटीआई के एक जवाब में मिला है जिन्हें बेचने की मंजूरी कैबिनेट से मिल चुकी है. निवेश विभाग और लोक एसेट मैनेजमेंट ने अपने जवाब में कहा है कि सरकार 26 कंपनियों को या तो पूरा बेच देगी या फिर इसमें कुछ हिस्सेदारी बेचेगी। कई ट्रेड यूनियन शुरू से ही विनिवेश का विरोध करते आ रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार राष्ट्र की संपत्ति को बेचकर अपनी आर्थिक विफलता को छुपाने की कोशिश कर रही है. उनका आरोप है कि सरकार विनिवेश करके वहा काम करने वालों के भविष्य को खतरे में डाल रही है और साथ साथ इस तरीके से सरकारी नौकरियों में आरक्षण पर भी हमला हो रहा है।
इन नामोॆं का पता आरटीआई के एक जवाब में मिला है जिन्हें बेचने की मंजूरी कैबिनेट से मिल चुकी है. निवेश विभाग और लोक एसेट मैनेजमेंट ने अपने जवाब में कहा है कि सरकार 26 कंपनियों को या तो पूरा बेच देगी या फिर इसमें कुछ हिस्सेदारी बेचेगी। कई ट्रेड यूनियन शुरू से ही विनिवेश का विरोध करते आ रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार राष्ट्र की संपत्ति को बेचकर अपनी आर्थिक विफलता को छुपाने की कोशिश कर रही है. उनका आरोप है कि सरकार विनिवेश करके वहा काम करने वालों के भविष्य को खतरे में डाल रही है और साथ साथ इस तरीके से सरकारी नौकरियों में आरक्षण पर भी हमला हो रहा है।
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