'भारत' की जीडीपी से ज़्यादा हुई 'एप्पल' और 'फ़ेसबुक' की सम्मिलित सम्पत्ति

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए मोदी सरकार ने 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा करके अनजाने में ही अर्थव्यवस्था को बहुत गहरी चोट पहुंचायी। 70 दिन तक चले सख्त लॉकडाउन से देश में उद्योग-धंधों की कमर टूट गई और भविष्य को लेकर संकट गहरा गया। केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के मुताबिक भारत की जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद की कीमत वित्त वर्ष 2021 में 7.7 फीसदी सिकुड़ जाएगी। यह खबर तो आपने पड़ी होगी लेकिन क्या आप जानते है की अगर ऐसा होता है तो भारत कुल संपदा से ज़्यादा संपत्ति तो अमेरिका की महज़ दो कंपनियों के पास है।
समझिये इस ख़ास रिपोर्ट में कि कैसे अगर सरकार का पूर्वानुमान सही है तो भारत से ज्यादा पैसा मोबाइल कंपनी एप्पल और फेसबुक के पास होगा।
दरअसल, केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2020-21 में नॉमिनल जीडीपी घटकर 194.82 लाख करोड़ रह जाएगी। अब अगर इसको डॉलर के हिसाब से देखे तो भारतीय अर्थव्यवस्था 2.65 ट्रिलियन डॉलर तक सिमट जाएगी। वैसे, 2019-20 में नॉमिनल जीडीपी 203.40 लाख करोड़ रुपये थी और डॉलर के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था 2.77 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छू रही थी। अब बात करते है एप्पल और फेसबुक की। दरअसल, कोरोना काल में बढ़ी बंदिशों के चलते टेक कंपनियो ने जमकर चांदी काटी। अकेले एप्पल और फेसबुक की कमाई को ही जोड़ लिया जाये तो भारत की कुल अर्थव्यवस्था से ज्यादा संपत्ति इन दो कंपनियों के पास हो गयी। बात करे एप्पल की तो उसकी टोटल वर्थ या कहे उसकी कीमत 2.2 ट्रिलियन डॉलर के पार जा चुकी है। इसी तरह फेसबुक 0.77 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी बन चुकी है। अब इन दोनों की कुल कीमत को जोड़ा जाये तो आंकड़ा पहुंच जाता है लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर, यानि पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था से ज्यादा। केन्द्र सरकार भले ही आर्थिक तबाही के लिए महामारी और लॉकडाउन को ज़िम्मेदार ठहराये लेकिन हक़ीक़त यह है की भारत आर्थिक मोर्चे पर बहुत पहले ही फिसलने लगा था। साल की शुरुआत में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने वैश्विक मंदी के लिए संकट में फंसी भारत की अर्थव्यवस्था को ज़िम्मेदार ठहराया था। तब सरकार अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक मंदी को ज़िम्मेदार ठहरा रही थी। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि नोटबंदी और जीएसटी से अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पंहुचा था लेकिन हड़बड़ी में लगे लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की कमर ही तोड़ कर रखा दी।
दरअसल, केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2020-21 में नॉमिनल जीडीपी घटकर 194.82 लाख करोड़ रह जाएगी। अब अगर इसको डॉलर के हिसाब से देखे तो भारतीय अर्थव्यवस्था 2.65 ट्रिलियन डॉलर तक सिमट जाएगी। वैसे, 2019-20 में नॉमिनल जीडीपी 203.40 लाख करोड़ रुपये थी और डॉलर के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था 2.77 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छू रही थी। अब बात करते है एप्पल और फेसबुक की। दरअसल, कोरोना काल में बढ़ी बंदिशों के चलते टेक कंपनियो ने जमकर चांदी काटी। अकेले एप्पल और फेसबुक की कमाई को ही जोड़ लिया जाये तो भारत की कुल अर्थव्यवस्था से ज्यादा संपत्ति इन दो कंपनियों के पास हो गयी। बात करे एप्पल की तो उसकी टोटल वर्थ या कहे उसकी कीमत 2.2 ट्रिलियन डॉलर के पार जा चुकी है। इसी तरह फेसबुक 0.77 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी बन चुकी है। अब इन दोनों की कुल कीमत को जोड़ा जाये तो आंकड़ा पहुंच जाता है लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर, यानि पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था से ज्यादा। केन्द्र सरकार भले ही आर्थिक तबाही के लिए महामारी और लॉकडाउन को ज़िम्मेदार ठहराये लेकिन हक़ीक़त यह है की भारत आर्थिक मोर्चे पर बहुत पहले ही फिसलने लगा था। साल की शुरुआत में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने वैश्विक मंदी के लिए संकट में फंसी भारत की अर्थव्यवस्था को ज़िम्मेदार ठहराया था। तब सरकार अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक मंदी को ज़िम्मेदार ठहरा रही थी। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि नोटबंदी और जीएसटी से अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पंहुचा था लेकिन हड़बड़ी में लगे लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की कमर ही तोड़ कर रखा दी।
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