8 सरकारी कंपनी बिकी, 6 पर ताला और 20 कंपनियों में विनिवेश जारी : केंद्र सरकार

by Ankush Choubey 2 years ago Views 3480

8 government-owned companies sold, 6 locked and di
देश आर्थिक मंदी के अब तक के सबसे ख़राब दौर से गुज़र रहा है और सरकार का खजाना अब खाली होता जा रहा है.  स्तिथि को संभालने के लिए केंद्र सरकार अब सरकारी कंपनियों को बेचने में ज़ारों-शोरों से जुटी हुई है.  अब लोकसभा में केंद्र सरकार ने माना है कि सरकार ने अब तक 8 सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज (CPSEs) को बेच चुकी है, 20 कंपनियों और उनकी यूनिट्स में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया जारी है जबकि 6 कंपनियों को बंद कर सरकार ताला लगाने जा रही है.

केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने एक लिखित जवाब में जानकारी दी है की सरकार ने आठ सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज यानी CPSEs में विनिवेश कर चुकी है. इनमें हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लि, हॉस्पिटल सर्विस कंसल्टेंसी लि, नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन, ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लि, टीएचडीसी इंडिया लि, नार्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लि. और कामराजार पोर्ट लिमिटेड शामिल हैं.


इसके आलावा सरकर ने जिन छह सरकारी कंपनियों को बंद करने की तयारी में है,  वे है हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड, स्कूटर्स इंडिया, भारत पंप्स एंड कंप्रेसर लिमिटेड और हिंदुस्तान प्रीफैब शामिल है. जबकि दो और बिकने वाली कंपनिया हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट और कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड का मामला कोर्ट में लंबित है.

अनुराग ठाकुर ने बताया कि इनके अलावा केंद्रीय कैबिनेट ने 20 कंपनियों और उनकी यूनिट्स में हिस्सेदारी बेचने की मंज़ूरी दे दी है और इनके विनिवेश की प्रक्रिया जारी है. इनमें प्रोजेक्ट एंड डेवलपमेंट इंडिया लि, इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट (इंडिया) लि,ब्रिज एण्ड रूफ कंपनी इंडिया लि, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लि, भारत अर्थ मूवर्स लि, एयर इंडिया और इसकी पांच सहायक कंपनियां और एक संयुक्त उद्यम, एचएलएल लाइफकेयर लि, एनएमडीसी का नगरनार स्टील प्लांट और इंडियन मेडिसिन एण्ड फार्मास्यूटिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड जैसी कंपनिया शामिल हैं.

कई ट्रेड यूनियन और राजनीतिक दल शुरू से ही विनिवेश का विरोध करते आ रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार राष्ट्र की संपत्ति को बेचकर अपनी आर्थिक विफलता को छुपाने की कोशिश कर रही है. उनका कहना है कि सरकार विनिवेश करके वहा काम करने वालों के भविष्य को खतरे में डाल रही है और साथ साथ इस तरीके से सरकारी नौकरियों में आरक्षण पर भी हमला हो रहा है।

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