शिवसेना ने अपने अखबार सामना के संपादकीय में कहा कि दिल्ली की हिंसा के लिए सिर्फ किसानों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है
महाराष्ट्र की शिवसेना पार्टी ने गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी में हुई हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए इसका आरोप केंद्र सरकार पर लगाया है।
शिवसेना की ओर से कहा गया है केंद्र सरकार यही चाहती थी कि प्रदर्शनकारी किसान आक्रोशित हो कर हिंसक हो जाएं और किसानों के आंदोलन को बदनाम किया जाए। साथ ही पार्टी ने कहा कि हिंसा करना राष्ट्र हित में नहीं है।
बीजेपी ने वहीं शिवसेना के इस बयान में लगाए आरोपों को निराधार करार दिया है।
शिवसेना ने अपने अखबार सामना के संपादकीय में कहा कि दिल्ली की हिंसा के लिए सिर्फ किसानों को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। सरकार जो चाहती थी वही हुआ लेकिन इसका खामियाज़ा दिल्ली पुलिस और किसानों को भुगतना पड़ा है।
इस संपादकीय में कहा गया है कि किसानों के पिछले 60 दिनों से जारी आंदोलन के खिलाफ केंद्र सरकार कुछ नहीं कर पा रही थी। वह चाहती थी कि किसान हिंसक हो जाएं और उनका प्रदर्शन बदनाम हो। 26 जनवरी के दिन सरकार की ये इच्छा पूरी हो गई लेकिन इसके साथ देश की भी बदनामी हुई है।
शिवसेना के इन आरोपों को खारिज करते हुए महाराष्ट्र भाजपा के प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि ये बहुत दुखद है कि कुछ लोग राजनीति से ऊपर नहीं उठ पा रहें हैं और किसानों के नाम पर अराजकता फैलाना चाहते हैं।
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